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कांग्रेस अपने परंपरागत वोटरों को वापस पाने पर जोर दे रही है और जय भीम जैसे कार्यक्रमों के जरिए दलित समुदाय को लुभाने की कोशिश कर रही है और बसपा...
राजनीतिक, सामाजिक, पारिवारिक या व्यक्तिगत जीवन में यदि लगने लगता है कि छल-फरेब हुआ है तो बहुत कुछ उलट-पलट होना तय है। प्रश्न यह है कि जब ऐसी स्थिति...
पिछले साल लोकसभा चुनाव में 303 से 240 सीटों पर सिमट जाने के झटके से भाजपा 8 महीने में पूरी तरह उबर गई है। 4 जून, 2024 को आए लोकसभा चुनाव परिणाम भाजपा...
सितम्बर 2023 में जब मोदी-2 सरकार ने संविधान में 128वां संशोधन कर नारीशक्ति वंदन अधिनियम बनवाया और इसे 2026 से लागू करने की बात कही, तब से ही विपक्ष...
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दिल्ली में एग्जिट पोल के नतीजे सही साबित हुए हैं। बात यहां तक पहुंच गई कि अरविंद केजरीवाल के साथ ही मनीष सिसौदिया जैसे नेता चुनाव हार गए। यह जरूर रहा कि दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी अपनी सीट बचाने में कामयाब हो गईं। भारतीय जनता पार्टी ने शानदार जीत हासिल की। अब 27 साल बाद दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने जा रही है।
न्यायपालिका की स्वतंत्रता को लेकर चल रहा संघर्ष, जिसमें अधिकांश न्यायाधीश निष्क्रिय दर्शक बने हुए हैं, पाकिस्तान में वकीलों के आंदोलन की याद दिलाता है। यह एक निर्णायक क्षण था जब एक मुख्य न्यायाधीश ने अपनी कमियों के बावजूद पाकिस्तान के सबसे शक्तिशाली लोगों से भिडऩे का साहस किया। वकीलों और नागरिक समाज के एक बड़े पैमाने पर लामबंदी ने दशकों में देश के सबसे महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक सुधारों को उत्प्रेरित किया।
हाल ही में संपन्न दिल्ली विधानसभा चुनाव के 2 नतीजे स्पष्ट हैं। पहला निष्कर्ष यह है कि नरेंद्र मोदी हमारे भारत में एक महापुरुष के रूप में राजनीतिक क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। उनकी राजनीति का ब्रांड और मतदाताओं पर उनकी पकड़ अब भी बेजोड़ है। दूसरा निष्कर्ष यह है कि राहुल गांधी मोदी के मुकाबले कहीं नहीं टिकते। उन्हें ‘इंडिया’ ब्लॉक के नेतृत्व की आकांक्षा छोड़ देनी चाहिए।
मतदाताओं ने तो पिछले सप्ताह ही भाजपा के पक्ष में जनादेश दे दिया था, लेकिन नए मुख्यमंत्री के लिए दिल्ली को अगले सप्ताह तक इंतजार करना पड़ सकता है। 8 फरवरी को आए चुनाव परिणामों में भाजपा को 70 सदस्यों वाली दिल्ली विधानसभा में 48 सीटों के साथ जबर्दस्त बहुमत मिला है। फिर भी नया मुख्यमंत्री चुनने में समय लग रहा है तो सबसे बड़ा कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विदेश यात्रा पर होना है।
अपने 50 वर्षों से ज्यादा के सार्वजनिक जीवन में मैंने लोगों को अपने पसंदीदा राजनीतिक दल या उसके नेता की विजय पर जश्न मनाते कई बार देखा है। परंतु किसी नेता या उसकी पार्टी की हार पर लोगों को नाचते-गाते और उत्सव मनाने का साक्षी 2 बार रहा हूं। इस प्रकार का पहला मौका मेरे जीवन में 1975-77 के आपातकाल के बाद हुए लोकसभा चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पारंपरिक रायबरेली सीट से हारने और देश से कांग्रेस का जनता द्वारा सूपड़ा साफ करने के समय आया था।
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के बीच दुश्मनी और जातीय हिंसा में उनकी मिलीभगत पर सुप्रीम कोर्ट के अभियोग की छाया का सामना करते हुए, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा, लेकिन इससे पहले उन्होंने पूर्वोत्तर राज्य को बहुत नुकसान पहुंचाया।
चुनावी सफलताओं के लिहाज से देखा जाए तो भाजपा के लिए मजबूत जन समर्थन से पिछला समय काफी शानदार रहा। वहीं परिवारवादी, भ्रष्टाचारी कांग्रेस कमजोर नेतृत्व व वोट बैंक की राजनीति करने के लिए अपने जातिवाद व धार्मिक तुष्टीकरण की राजनीति करने के कारण देश में अपने न्यूनतम स्तर पर आ पहुंची है व ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ का नारा धरातल पर दिख रहा है।
सवाल यह नहीं है कि आम आदमी पार्टी (आप) का क्या होगा या कि अब केजरीवाल कहां जाएंगे? सवाल है कि वैकल्पिक राजनीति की किसी भी कोशिश का क्या भविष्य है? यह सवाल उन लोगों को भी पूछना चाहिए, जिन्हें ‘आप’ से कभी मोह नहीं रहा था या जिनका मोहभंग हो चुका है।
दिल्ली विधान सभा चुनावों में भाजपा की जीत के सुखाभास और ‘आप’ की हार की निराशा के मध्य इस बात का विश्लेषण करना आसान हो गया है कि क्या इंडिया गठबंधन ने लोक सभा चुनावों में अच्छे प्रदर्शन के बाद अपनी प्रासंगिकता और स्वरूप खो दिया है, विशेषकर दिल्ली में ‘आप’ और कांग्रेस की विफलता के बाद दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले से कमजोर हो रहे इंडिया गठबंधन के लिए और चुनौतियां पैदा हो गई हैं।
15वीं- 16वीं सदी के दौरान धरती पर एक ऐसे आध्यात्मिक गुरु का जन्म हुआ जिसने अपनी विनम्र वाणी से सामाजिक कुरीतियों पर चोट की। आज उन्हें श्री गुरु रविदास जी के नाम से जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब पृथ्वी पर सामाजिक अन्याय, भेदभाव, ऊंच-नीच जैसी सामाजिक कुरीतियों का बोलबाला बढ़ जाता है तब इन बातों
जब मैंने पहली बार सूई अपने बाजू में चुभोई, तो लगा जैसे दुनिया की सारी परेशानियां खत्म हो गईं। लेकिन असली परेशानी तो तब शुरू हुई जब हर दिन यही नशा मेरी जरूरत बन गया। परिवार छूट गया, दोस्त दूर हो गए, और एक समय ऐसा आया जब मैंने खुद को भी खो दिया। चार साल पहले ड्रग्स के अंधेरे कुएं में गिरे रोहित (बदला हुआ नाम) की आवाज यह सब बताते हुए कांप रही थी। सड़कों पर भीख मांगते हुए दिन बिताने वाले इस युवा के लिए नशा जिंदगी थी और जिंदगी नशे में ही खत्म हो रही थी।
दिल्ली विधानसभा का यह चुनाव अपने आप में कई संदेश लेकर आया है और कुछ तो काफी सुखद हैं। कई चुनावों बाद ऐसा हुआ कि चुनाव मुद्दों पर लड़ा गया। न धर्म की बात ज्यादा हुई, न नफरत की, न ‘बंटोगे तो कटोगे’ की ज्यादा गूंज हुई और न ही जाति के हिसाब से नेता खेल खेल पाए। मोदी-शाह की अगुवाई में लम्बे समय बाद यह चुनाव ऐसा रहा जो भाजपा द्वारा अटल-अडवानी युग की तरह ठोस मुद्दों पर लड़ा गया। यह भाजपा की रणनीति और राजनीति में एक बड़ा बदलाव है और इसके नतीजे पार्टी के लिए सुखद हैं। ये नतीजे आम जनता के लिए और अधिक उत
हमारे पड़ोसी देश चीन ने पिछले सप्ताह एक बार फिर से सुर्खियां बनाईं। इस बार भारत में घुसपैठ नहीं बल्कि भारत और दुनिया भर के लिए एक उदाहरण बना। चीन ने अपने नवाचार द्वारा एक रेगिस्तान को न सिर्फ रोका बल्कि उसे हरा-भरा भी कर दिया। चीन का यह विकास कार्य आज काफी चर्चा में है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद अब अरविंद केजरीवाल क्या करेंगे। कहने को तो कहा जा सकता है कि आप के पास अभी भी 43 फीसदी वोट हैं जो विपक्ष में रहते हुए भाजपा के पास कभी नहीं रहा। ‘आप’ के पास 22 विधायक हैं यानी 10 सालों में पहली बार मजबूत विपक्ष है।
प्रकृति ने अपनी असीम बुद्धि से प्रत्येक मनुष्य को एक अलग पहचान दी है हमारी उंगलियों के निशान से लेकर आंखों की पुतलियों तक, हमारे अनुभव से लेकर विचारों तक, हमारी प्रतिभाओं से लेकर उपलब्धियों तक। मानवीय विशिष्टता के बारे में यह गहन सत्य हमारे समाज की विशेषता रही है और हमारी शिक्षा प्रणाली को इस विशेषता को प्रतिबिंबित करना चाहिए।
आजकल शादी और रिश्तों का नया ट्रैंड सुर्खियों में है, जिसे ओपन मैरिज यानी खुली शादी का नाम दिया जा रहा है। शादी, जिसे आमतौर पर समर्पण और विश्वास का प्रतीक माना जाता है, उसमें अब ओपन मैरिज के कॉन्सैप्ट ने जबरदस्त सेंध लगा दी है। पहले यह ट्रैंड उच्च समाज या अत्यधिक अमीर लोगों तक ही सीमित था, लेकिन आजकल मध्यम वर्ग के लोग भी इसे अपना रहे हैं।
मेष राशि वालों आज का दिन आपके लिए अच्छा रहेगा। आज व्यापार में किसी तरह के बदलाव को लेकर सोच विचार कर सकते हैं
वृष राशि वालों आज का दिन आपके लिए फायदा दिलाने वाला रहेगा। आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर रहेगी।
मिथुन राशि वालों आज का दिन आपके लिए अच्छा रहेगा। आज किसी यात्रा पर जाने के योग बन सकते हैं।
कर्क राशि वालों आज का दिन आपके लिए शानदार रहेगा। आज पैसों से जुड़ा लेन-देन आपके लिए फायदेमंद साबित होगा
सिंह राशि वालों आज का दिन आपके लिए अनुकूल रहेगा। जीवनसाथी के साथ प्यार बना रहेगा। बिज़नेस में फायदा होने के योग है।
कन्या राशि वालों आज का दिन आपके लिए खुशहाल रहेगा। नए बिज़नेस को शुरू करने में परिवार से पूरा सहयोग मिलेगा।
तुला राशि वालों आज का दिन आपके लिए बढ़िया रहेगा। आज बच्चों के साथ कही घुमने जा सकते है।
वृश्चिक राशि वालों आज का दिन आपके लिए बहुत अच्छा रहेगा। दांपत्य जीवन में मधुरता बनी रहेगी।
धनु राशि वालों आज का दिन आपके लिए अनुकूल रहेगा। ऑफिस में काम के लिए बॉस से तारीफ मिल सकती है।
मकर राशि वालों आज का दिन आपके लिए मिला-जुला रहेगा। आज जॉब में थोड़ा संभलकर रहें, नहीं तो काम खराब हो सकता है।
कुंभ राशि वालों आज का दिन आपके लिए खुशहाल रहेगा। बच्चे आज किसी चीज़ के लिए ज़िद कर सकते हैं।
मीन राशि वालों आज का दिन आपके लिए अच्छा रहेगा। आज किसी पुराने दोस्त के साथ घूमने जा सकते हैं।
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22/02/2025 12:30 IST
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