कौन होगा मिर्जापुर की गद्दी का हकदार! किरदारों ने खोले राज

Updated: 06 Sep, 2024 04:27 PM

who will be entitled to the throne of mirzapur characters revealed secrets

मिर्जापुर 3 की गद्दी के लिए एक बार फिर से संघर्ष होने वाला है।

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। मिर्जापुर की गद्दी के लिए एक बार फिर से संघर्ष होने वाला है। अमेजन प्राइम की मोस्ट पॉपुलर सीरीज मिर्जापुर का सीजन 3 एक बार फिर दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए तैयार है। दो सीजन के ज्यादातर एक्टर्स अपनी भूमिकाएं दोहरा रहे हैं। सीरीज 5 जुलाई को रिलीज हो रही है, जिसमें विजय वर्मा, पंकज त्रिपाठी, अली फजल, श्वेता त्रिपाठी, ईशा तलवार, अंजुम शर्मा, प्रियांशु पेन्युली, हर्षिता शेखर गौर, रसिका दुग्गल आदि नजर आएंगे। सीरीज के बारे में श्वेता त्रिपाठी, अंजुम शर्मा, प्रियांशु पेन्युली और रसिका दुग्गल, गुरमीत सिंह, पंकज त्रिपाठी और अली फजल ने पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/जगबाणी/हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश...

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सबसे ज्यादा सरल और मजेदार शूटिंग प्रकिया होती है: गुरमीत सिंह

Q. सीजन 3 में इतना समय क्यों लगा?
-मिर्जापुर का सीजन 3 आने में लंबा समय लगने की दो मुख्य वजह हैं। पहली तो कोरोना काल में सब बंद था। इस वजह से 2 साल ज्यादा लगे। दूसरा ये है कि हमें राइटिंग में समय लगता है। सीजन एक और दो में भी दो साल का गैप था। मिर्जापुर किसी कहानी उपन्यास पर आधारित नहीं है। इसकी जो कहानी लिखी जाती है, वो फ्रैश कहानी होती है। इसमें थोड़ा समय लग जाता है। यही रीजन है कि लंबा समय लगा।

Q. दो सीजन के बाद दर्शकों की उम्मीदें इस बार काफी बढ़ गई हैं। इस प्रैशर को कैसे हैंडल करते हैं?
-जो तरीका हम अपनाते हैं, वो यही है कि हम रिजल्ट के बारे में नहीं सोचते हैं। हम बस अपना काम करते हैं। ये नहीं सोचते कि कोई बड़ी चीज बन रही है। जब पहला सीजन बनाया था तो ये नहीं सोचा था कि कुछ इतना बड़ा बना रहे हैं। हम काम पर फोकस करते हैं, जैसे राइटिंग पर ऐसा लिखें जो हमें ही खुद हैरान कर दे। फिर स्क्रिप्ट आगे एक्टर्स तक पहुंचती है, क्योंकि ये सब अपने किरदारों में पूरी तरह घुस चुके हैं। हम सब एक सहयोग के साथ पूरी चीजें तय करते हैं। ये हमारी एक सूझीबूझी कास्ट है। तो कहीं न कहीं ऐसा लगता है कि हम लोग सही दिशा में जा रहे हैं। सबसे ज्यादा सरल और मजेदार शूटिंग की प्रकिया होती है। उससे पहले और उसके बाद की मेहनत सबसे ज्यादा होती है।

मेरा किरदार उग्र रहा है: अली फजल 

Q. इस उग्र किरदार के लिए आप खुद को किस तरह ट्रांसफार्म करते हैं?
-मिर्जापुर के सभी सीजन में मेरा किरदार उग्र रहा है। जो मेरी लाइनें होती हैं, वहीं इसी तरह की होती हैं, जिनसे मैं स्क्रीन पर भी इतना उग्र दिखता हूं। रही बात ट्रांसफार्म होने की तो ये हमारा काम है उसी में ही मजा है। मेरे किरदार कि एक रेंज है वो गुस्सा रहता है, रोता- हंसता है। मुझे मिर्जापुर की कॉमेडी अच्छी लगती है। हर चीज में किरदार के लिए बैलेंस होता है।
 

Q. आप पिता बनने वाले हैं। ऐसे ये बड़ी जिम्मेदारी संभालने को कितने तैयार हैं?
-मुझे लगता है कि ये ऐसा समय है, जब हम अपनी पर्सनल लाइफ को संवार रहे हैं, इसे मैं नेस्टिंग स्टेज कहता हूं, क्योंकि हम जल्द ही अपने पहले बच्चे का वेलकम करने 
वाले हैं। रही बात जिम्मेदारी की तो वो भी संभाल लेंगे।

जर्नी को 9 साल बीत चुके हैं : श्वेता ​त्रिपाठी 

Q. गोलू का किरदार सीजन 1 से 3 तक कई  बदलावों से गुजरा है तो इस बदलाव को स्क्रीन पर दिखाना कितना मुश्किल रहा?
-किसी एक्टर को जब किरदार मिलता है और वो उस दौरान वो जर्नी जीता है तो वो बैस्ट पार्ट होता है। पहले सीजन में गोलू रसगुल्ला थी, मैं खुद उसे देख के शॉक हो जाती हूं। जब मैं सीजन 3 देखती हूं तो सोचती हूं कि ये जो इंसान है ये उससे अलग है। इसी जर्नी को 9 साल बीत चुके हैं, जिसमें आपके साथ किरदार भी ग्रोथ करता है। 

Q. गोलू और आप में समानताएं हैं?
-समानताएं काफी हैं और नहीं भी। मुझे लगता है, मेरा और गोलू का जो वीर रस होता है, ना वह उच्च स्तर का है। गोलू की जिंदगी में काफी उतार चढ़ाव आए हैं, जिससे उसने ये हिंसा का रास्ता पकड़ लिया है। इसके अलावा बड़ा डिफरैंस ये है कि गोलू की जिंदगी बहुत डार्क है और मेरी बहुत ब्राइट है।

समाज से सिनेमा प्रेरित होता है और सिनेमा से समाज: पंकज त्रिपाठी

Q. क्या कालीन भैया के किरदार को निभाने के लिए आपने किसी गैंगस्टर को देखा या कॉपी किया?
-मैं किसी को भी नहीं देखता हूं, पूरी तरह से कालीन भैया का किरदार कल्पना पर आधारित है। वो जो किरदार है, वो काफी अलग, शांत, सबर वाला है। तो असल में ऐसा गैंगस्टर कहा ही होगा। वो बनाया हुआ किरदार है। मुझे इसके लिए किसी को देखने की जरूरत नहीं है। अब समाज से सिनेमा प्रेरित होता है और सिनेमा से समाज प्रेरित होता है। तो ऐसा भी संभव है कि कोई भविष्य में कालीन भैया की तरह व्यवहार करे।

Q. आप में और कालीन भैया में क्या समानताएं हैं?
-मैं और कालीन भैया, दोनों ही हम मदुर्भाषी हैं। मैं भी सीरियस ह्यूमर लाइफ करता हूं और कालीन भैया में भी ये चीज है। मिर्जापुर में क्राइम वाले पार्ट पर तो सब बात करते हैं, लेकिन उसका ह्यूमर बहुत जबरदस्त है। किरदार जो परिस्थितियों से ह्यूमर क्रिएट करते हैं। वो भी देखने लायक है अब गुड्डू इसलिए भी गुड्डू है, क्योंकी वह मूर्ख है। अगर गुड्डू समझदार होता तो वो मजा नहीं आता। जो मूर्ख हैं वही बचे हुए हैं। तो मिर्जापुर का एक वो साइड भी है। मेरे अंदर यही समानता है कि मेरी लाइफ में भी सीरियस ह्यूमर है।

ट्रोलिंग मुझे ज्यादा परेशान नहीं करती: रसिका दुग्गल

Q. आपके किरदार के कुछ सीन काफी विवादित रहे हैं तो ऐसे में ट्रोलिंग पर आपका क्या रिएक्शन होता है?
-मुझे लगता है कि जो ऑनलाइन कमैंट आते हैं, वो अच्छे-बुरे दोनों होते हैं। जब बुरा कमैंट होता है तो धक्का लगता ही है। हर किरदार एक कहानी का हिस्सा होता है तो उस कहानी पर फोकस करें न कि उस किरदार की परतें खोलें। एक दर्शक होने के नाते ये सम्मान की बात नहीं होती है। कई बार ऐसा होता है कि दूसरे लोग ही कमैंट में ऐसा करने वालों को चुप करा देते हैं। दर्शकों में ही बैलेंस बना रहता है। तो ये चीजें मुझे ज्यादा परेशान नहीं करती हैं।

Q. मिर्जापुर में महिला किरदारों को काफी ताकतकवर दिखाया गया है। इसका महिला दर्शकों पर क्या प्रभाव होगा?
-ताकतवर महिला को शायद वो असल जिंदगी में भी देखती हैं, लेकिन अनदेखा कर देती हैं। इस कहानी के माध्यम से शायद उन्हें बताने की जरूरत है कि आपके आस-पास भी ऐसी औरते हैं। पावरफुल महिला को हम गद्दी पर बैठने या गन चलाने को मानते हैं। असल जिंदगी में हमारे आसपास बहुत सी ताकतवर औरतें होती हैं, लेकिन उन्हें हम पावरफुल नहीं कहते, क्योंकि वह मानी हुई ताकत वाली चीजें नहीं करती हैं। उनमें इतनी ताकत होती है कि वह हर परिस्थिती में लड़ सकें। वरना वो इस पुरुष प्रधान समाज में गुजारा कैसे करें।

रॉबिन में प्याज की तरह कई परते हैं :  प्रियांशु पेन्युली

Q. रॉबिन के बहुत सारे लेयर हैं, तो इस बार क्या ये परते खुलने वाली हैं ?
-रॉबिन में प्याज की तरह कई परते हैं। इस बार भी वो एक जोन में जाने की कोशिश कर रहा है, बदलने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसमें कई बाधाएं आती हैं। वही कहानी मिर्जापुर है। मिर्जापुर में सब आसानी से मिल जाए तो वो मिर्जापुर नहीं रहेगा। रॉबिन का भी ऐसा ही खेल है कि वो कुछ पाने की कोशिश कर रहा है। इस बार उसका एक लक्ष्य है पिछले सीजन में जो उसका लक्ष्य क्या था वो किसी को नहीं पता था, जैसे वो कौन है कहां से आया है वो नहीं पता था। इस बार कहीं न कहीं उसके बारे में कुछ चीजें साफ होंगी। इस बार रॉबिन को समझ आ रहा है कि मिर्जापुर में कुछ चीजें आसानी से नहीं मिलेगी।

शरद शुक्ला के बारे में तो सबको पता है : अंजुम शर्मा

Q. शरद शुक्ला का इस बार क्या नया अंदाज देखने को मिलेगा?
-शरद शुक्ला के बारे में तो सबको पता है कि वो किस तरह का इंसान है। कैसे सूझ-बूझ के साथ चलने वाली आदमी है। कोई भी फैसला लेने में समय लेने वाला आदमी है। ऐसे में जिस परिस्थिती में वो कालीन भैया को लेकर निकला है। हम उसे गद्दी का कैंडिडेट मान सकते हैं। अब इस बार कालीन भैया पूर्वांचल में कुछ ऐसा कराने वाले हैं जो कभी नहीं हुआ। अब वो किससे कराएंगे, कैसे कराएंगे ये सारी परते खुलेंगी सीजन 3 में।

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