Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 Jan, 2025 04:24 PM
क्या आप सोच सकते हैं कि ₹1.07 करोड़ का भुगतान करने के बाद भी आपको एक फ्लैट की चाबी के लिए 10 साल तक इंतजार करना पड़े? ऐसा ही कुछ हुआ गुरुग्राम के एक होमबायर के साथ, जिसने 2013 में एक फ्लैट बुक किया था। इस फ्लैट की कीमत ₹1.16 करोड़ थी और उन्होंने...
बिजनेस डेस्कः क्या आप सोच सकते हैं कि ₹1.07 करोड़ का भुगतान करने के बाद भी आपको एक फ्लैट की चाबी के लिए 10 साल तक इंतजार करना पड़े? ऐसा ही कुछ हुआ गुरुग्राम के एक होमबायर के साथ, जिसने 2013 में एक फ्लैट बुक किया था। इस फ्लैट की कीमत ₹1.16 करोड़ थी और उन्होंने बुकिंग के तौर पर ₹12 लाख जमा किए। 2014 में ₹95 लाख का भुगतान कर उन्होंने सेल एग्रीमेंट भी रजिस्टर करवा लिया लेकिन जब फ्लैट का निरीक्षण करने पहुंचे, तो पाया कि बिल्डर ने फ्लैट का बुनियादी कंस्ट्रक्शन भी शुरू नहीं किया था। जब होमबायर ने यह देखा तो उन्होंने बुकिंग कैंसिल कर रिफंड मांगा। बिल्डर ने उन्हें रिफंड देने के बजाय एक दूसरे प्रोजेक्ट में ₹1.55 करोड़ का फ्लैट खरीदने के लिए मना लिया लेकिन इस प्रोजेक्ट का फ्लैट भी समय पर पूरा नहीं हुआ। इसके बाद होमबायर ने फिर से बुकिंग कैंसिल करने और रिफंड मांगने की कोशिश की। इस बार भी बिल्डर ने उन्हें किसी और फ्लैट में पैसा ट्रांसफर करने के लिए राजी कर लिया।
2013 से 2022 तक, होमबायर ने ₹1.07 करोड़ का भुगतान करने के बावजूद, सिर्फ बिल्डर के वादे सुने। बिल्डर ने हर बार उनकी कॉल और मीटिंग्स लीं लेकिन फ्लैट देने में नाकाम रहा।
सब्र टूटा, RERA से मिली मदद
जब बिल्डर ने 21 जुलाई 2022 की निर्धारित तारीख तक फ्लैट नहीं दिया, तो होमबायर ने अपनी शिकायत हरियाणा RERA में दर्ज कराई। उन्होंने बुकिंग कैंसिल कर ₹1.07 करोड़ की रिफंड राशि और ब्याज के रूप में मुआवजे की मांग की।
कानूनी लड़ाई और RERA का आदेश
RERA ने होमबायर के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बिल्डर को ₹2.26 करोड़ का भुगतान करने का आदेश दिया। इसमें ₹1.07 करोड़ का रिफंड और 11.1% की दर से ब्याज के रूप में मुआवजा शामिल है।
यह आदेश RERA के सेक्शन 2(za), रूल 15 और सेक्शन 18(1) के तहत दिया गया। साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा स्थापित एक मिसाल का भी इसमें सहारा लिया गया।