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5 Biggest falls in Stock Market: भारतीय शेयर बाजार इतिहास की 5 सबसे बड़ी गिरावटें, लेकिन बाद में की दमदार वापसी

Edited By jyoti choudhary,Updated: 07 Apr, 2025 05:54 PM

5 biggest falls in the history of the indian stock market

7 अप्रैल 2025 को भारतीय शेयर बाजारों में भारी बिकवाली देखी गई। वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका और अमेरिका में संभावित मंदी के डर ने निवेशकों की भावनाओं को गहरा झटका दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि यह दिन भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में एक और 'काले...

बिजनेस डेस्कः 7 अप्रैल 2025 को भारतीय शेयर बाजारों में भारी बिकवाली देखी गई। वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका और अमेरिका में संभावित मंदी के डर ने निवेशकों की भावनाओं को गहरा झटका दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि यह दिन भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में एक और 'काले दिन' के रूप में दर्ज हो सकता है। हालांकि, इतिहास यह भी बताता है कि हर बड़ी गिरावट के बाद बाजारों ने मजबूत वापसी की है।

सेंसेक्स करीब 4,000 अंक टूटा, निफ्टी 50 21,750 के नीचे फिसल गया और एक साल के निचले स्तर की ओर बढ़ा। मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में भी 10% तक की गिरावट रही।

प्रमुख आंकड़े

  • सेंसेक्स 3,914 अंक या 5.19% गिरकर 71,449 पर खुला
  • निफ्टी 50 में 1,146 अंकों की गिरावट आई, जो इसे 21,758 के स्तर पर ले गया।
  • मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में भी 10% तक की गिरावट दर्ज की गई।
  • BSE पर लिस्टेड कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण ₹403 लाख करोड़ से घटकर ₹387 लाख करोड़ रह गया।
  • India VIX 56.5% उछलकर 21.53 पर पहुंच गया, जो आने वाले समय में भारी अस्थिरता का संकेत है।
  • निवेशकों के करीब ₹16 लाख करोड़ कुछ ही मिनटों में डूब गए।
  • यह गिरावट 1987 के 'ब्लैक मंडे' जैसे ऐतिहासिक आर्थिक संकट की याद दिलाती है, जब बाजार में भारी पैनिक सेलिंग हुई थी।

भारत के शेयर बाजार इतिहास की 5 सबसे बड़ी गिरावटें

  • हर्षद मेहता घोटाला (1992)- 28 अप्रैल 1992 को, हर्षद मेहता घोटाले के खुलासे के बाद सेंसेक्स 570 अंक (12.7%) गिरा। इस घटना ने भारतीय फाइनेंशियल सिस्टम में बड़े सुधारों की नींव रखी। इसके बावजूद, बाद के वर्षों में बाजार ने न केवल रिकवर किया, बल्कि नए निवेशकों के लिए अवसर भी बनाए।
  • केतन पारेख घोटाला क्रैश (2001)- 2 मार्च 2001 को, डॉट-कॉम बबल और केतन पारेख घोटाले के चलते सेंसेक्स 176 अंक (4.13%) गिरा। साथ ही गुजरात भूकंप और वैश्विक कमजोर संकेतों ने बिकवाली बढ़ाई।
  • चुनाव झटका क्रैश (2004)-17 मई 2004 को, अप्रत्याशित चुनाव नतीजों के चलते सेंसेक्स 11.1% गिरा। बाजार में दो बार ट्रेडिंग रोकनी पड़ी। बाद में सरकार के सुधारों की प्रतिबद्धता से स्थिरता लौटी।
  • वैश्विक वित्तीय संकट क्रैश (2008)-21 जनवरी 2008 को, वैश्विक मंदी के डर से सेंसेक्स 1,408 अंक (7.4%) गिरा, लेकिन फिर धीरे-धीरे बाजार संभला और निवेशकों को बेहतर रिटर्न मिला।
  • कोविड-19 महामारी क्रैश (2020)-23 मार्च 2020 को भारत में लॉकडाउन की घोषणा के बाद सेंसेक्स 3,935 अंक (13.2%) टूटा, जो बीते 25 वर्षों की सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट रही, लेकिन उसी गिरावट के बाद भारतीय बाजार ने ऐतिहासिक रिकवरी दिखाई और नई ऊंचाइयों को छुआ।

 

 

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