Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 Feb, 2025 01:57 PM
सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT) के चेयरमैन रवि अग्रवाल ने कहा कि बजट में 12 लाख रुपए तक की इनकम पर टैक्स नहीं लगाने और सभी स्लैब में बदलाव के बाद अब 90 प्रतिशत से अधिक टैक्सपेयर्स नई टैक्स रिजीम को अपना सकते हैं। फिलहाल यह आंकड़ा लगभग 75...
बिजनेस डेस्कः सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT) के चेयरमैन रवि अग्रवाल ने कहा कि बजट में 12 लाख रुपए तक की इनकम पर टैक्स नहीं लगाने और सभी स्लैब में बदलाव के बाद अब 90 प्रतिशत से अधिक टैक्सपेयर्स नई टैक्स रिजीम को अपना सकते हैं। फिलहाल यह आंकड़ा लगभग 75 प्रतिशत है। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का उद्देश्य देश में एक बिना दखल वाला टैक्स प्रशासन सुनिश्चित करना है और आम टैक्सपेयर्स के लिए अपनी इनकम बताने की प्रक्रिया अब पहले से काफी सरल हो गई है।
उन्होंने इसके लिए आसान बनाए गए ITR-1, पहले से भरे इनकम टैक्स रिटर्न, TDS का ऑटोमेटिक कम्प्यूटेशन का उदाहरण दिया। उन्होंने नई टैक्स रिजीम का भी हवाला दिया, जिसमें टैक्सपेयर्स के लिए कम्प्यूटेशन को आसान बनाया गया है। ऐसे में वह किसी प्रोफेशनल की मदद के बिना अपना ITR खुद दाखिल कर सकते हैं। इसमें पुरानी रिजीम की तरह किसी डिडक्शन या छूट नहीं है। CBDT केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत इनकम टैक्स विभाग के अंदर काम करता है।
25 लाख इनकम वाले की कितनी बचत
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बजट भाषण में मिडल क्लास के लिए अहम घोषणा करते हुए कहा कि नई टैक्स रिजीम के तहत सालाना 12 लाख रुपए तक की आय वाले व्यक्तियों को कोई टैक्स नहीं देना होगा। छूट की यह सीमा फिलहाल सात लाख रुपए है। सैलरीड क्लास के लिए 75,000 रुपए की अतिरिक्त स्टैंडर्ड डिडक्शन भी है। सरकार ने इस सीमा से अधिक आय वाले लोगों के लिए टैक्स स्लैब में भी बदलाव किया। इससे सालाना 25 लाख रुपए तक की आय वाले लोगों को हर साल 1.1 लाख रुपए तक टैक्स बचाने में मदद मिलेगी।
अग्रवाल ने माना कि आगे बढ़ने के लिए हमेशा सुधार की गुंजाइश बनी रहती है। उन्होंने कहा, 'मैं कहूंगा कि आम टैक्सपेयर्स के लिए चीजों को काफी हद तक सरल बनाया गया है।' उन्होंने कहा, 'बजट में घोषणाओं के साथ आने वाले वक्त में ज्यादा से ज्यादा टैक्सपेयर्स नई टैक्स रिजीम का विकल्प चुनने के लिए आगे आएंगे। अगर 100 प्रतिशत टैक्सपेयर्स नहीं, तो अगले साल से हमें 90 प्रतिशत या शायद उससे भी अधिक के आंकड़े देखने को मिलेंगे।'