Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 Dec, 2024 04:12 PM
भारत का इंश्योरेंस सेक्टर अब तेजी से विकास के पथ पर है। पिछले कुछ वर्षों में घाटे का सामना करने के बाद, वित्त वर्ष 2024 में इस सेक्टर ने बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। मजबूत निवेश आय, अंडरराइटिंग घाटे में कमी और बेहतर प्रबंधन ने इस क्षेत्र को मुनाफे...
बिजनेस डेस्कः भारत का इंश्योरेंस सेक्टर अब तेजी से विकास के पथ पर है। पिछले कुछ वर्षों में घाटे का सामना करने के बाद, वित्त वर्ष 2024 में इस सेक्टर ने बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। मजबूत निवेश आय, अंडरराइटिंग घाटे में कमी और बेहतर प्रबंधन ने इस क्षेत्र को मुनाफे की ओर अग्रसर किया है।
लगातार दो साल घाटे में रहने के बाद इस साल वित्त वर्ष 24 में इंश्योरेंस सेक्टर फायदे में आ गया है। इस साल इस सेक्टर में लाखों-करोड़ों का कारोबार हुआ है। वित्त वर्ष 24 में नॉन लाइफ इंश्योरेंस में शामिल सामान्य बीमा कंपनियों, स्टैंडएलोन हेल्थ इंश्योरेंस और स्पेशलाइज्ड इंश्योरेंस PSU को कुल मिलाकर 10,119 करोड़ रुपए का लाभ हुआ।
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भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण IRDAI की वित्त वर्ष 24 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार इस सेक्टर को वित्त वर्ष 23 में 2,566 करोड़ रुपए और वित्त वर्ष 22 में 2,857 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। वहीं इस साल इस सेक्टर में तगड़ा मुनाफा हुआ है।
किसे कितना हुआ लाभ?
सरकारी सामान्य बीमा कंपनियों को 157 करोड़ रुपए का लाभ, निजी सामान्य बीमा कंपनियों को 5,983 करोड़ रुपए का कर बाद लाभ, विशेषीकृत बीमाकर्ताओं को 3,063 करोड़ रुपए का कर बाद लाभ और एकल स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को 915 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हुआ।
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घाटा हुआ कम
हालांकि वित्त वर्ष 24 में गैर जीवन बीमा कंपनियों का अंडरराइटिंग घाटा गिरकर 28,555 करोड़ रुपए हो गया। यह वित्त वर्ष 23 के 32,797 करोड़ रुपए की तुलना 12.93 फीसदी कम है। गैर जीवन बीमा उद्योग के अंडरराइटिंग घाटे में सार्वजनिक क्षेत्र की हिस्सेदारी 66 फीसदी यानी 18,862 करोड़ रुपए और शेष निजी क्षेत्र के बीमा कंपनियों की हिस्सेदारी 10,758 करोड़ रुपए थी।
इसी तरह वित्त वर्ष 24 में एकल बीमा कंपनियों का अंडरराइटिंग घाटा बढ़कर 723 करोड़ रुपए हो गया जबकि यह वित्त वर्ष 23 में 529 करोड़ रुपए था। गैर जीवन बीमा कंपनियों के निवेश आय से उनके अंडरराइटिंग घाटे की भरपाई होती है। विशेषीकृत बीमा कंपनियों का अंडरराइटिंग लाभ वित्त वर्ष 24 में बढ़कर 1,788 करोड़ रुपए हो गया जबकि यह वित्त वर्ष 23 में 1,747 करोड़ रुपए था।