Edited By jyoti choudhary,Updated: 31 Jul, 2024 11:55 AM
अरबपति कारोबारी गौतम अडानी (Gautam Adani) के नेतृत्व वाले अडानी ग्रुप (Adani Group) ने मार्केट से लगभग 1 अरब डॉलर (करीब 8373 करोड़ रुपए) जुटाए हैं। यह पैसा अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस (Adani Energy Solutions) ने क्वालिफाइड इंस्टीटूशनल प्लेसमेंट (QIP) के...
बिजनेस डेस्कः अरबपति कारोबारी गौतम अडानी (Gautam Adani) के नेतृत्व वाले अडानी ग्रुप (Adani Group) ने मार्केट से लगभग 1 अरब डॉलर (करीब 8373 करोड़ रुपए) जुटाए हैं। यह पैसा अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस (Adani Energy Solutions) ने क्वालिफाइड इंस्टीटूशनल प्लेसमेंट (QIP) के जरिए शेयर बेचकर जुटाए हैं। समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट (Hindenburg Report) के बाद पहली बार सार्वजनिक इक्विटी के जरिये बाजार से फंडिंग हासिल की है। इस रिपोर्ट ने अडानी ग्रुप की कंपनियों की नेटवर्थ को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया था।
अडानी एनर्जी का QIP मंगलवार को खोला गया। यह इश्यू तीन गुना सब्सक्राइब हुआ यानी लगभग 26 हजार करोड़ रुपए की डिमांड पैदा हुई। यह भारत के एनर्जी सेक्टर का सबसे बड़ा ट्रांजेक्शन बन गया है। इस इश्यू का प्राइस 976 रुपए प्रति शेयर रखा गया था। हालांकि, यह 1,135 रुपए प्रति शेयर पर बंद हुआ। QIP का रास्ता वह लिस्टेड कंपनियां अपनाती हैं, जो बड़े संस्थानों से पैसे जुटाना चाहती हैं।
Adani Enterprises भी जुटाएगी 600 करोड़ रुपए
अडानी एनर्जी के QIP के सफल होने के साथ ही अब अडानी इंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) भी लगभग 600 करोड़ रुपए बाजार से जुटाने की अपनी योजना को तेज करने में जुट गई है। यह सफल क्यूआईपी दिखा रहा है कि अडानी ग्रुप में निवेशकों का भरोसा मजबूत होता जा रहा है। अडानी विल्मर इस पैसे का इस्तेमाल खाद्य तेल बिजनेस और सोलर पावर क्षमता बढ़ाने में करेगी।
क्या है QIP
QIP अत्यधिक कागजी कार्यवाही के तामझाम के बगैर की गई शेयर बिक्री है। इसमें भी किसी IPO की तरह ही शेयर जारी किए जाते हैं लेकिन इसे हर कोई नहीं खरीद सकता है। QIP को केवल क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) ही खरीद सकते हैं। ये वे निवेशक होते हैं जिन्हें भारत में SEBI से मान्यता प्राप्त होती है। ये मार्केट के विशेषज्ञ निवेशक होते हैं और बाजार में इनका अहम योगदान होता है।
QIP का फायदा
इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि कंपनी को इसके लिए IPO या FPO की तरह सेबी के पास पेपर फाइल नहीं करने होते। इसमें कागजी कार्यवाही बहुत कम हो जाती है चूंकि, क्यूआईबी खुद मझे हुए इन्वेस्टर्स होते हैं इसलिए कंपनी QIP संबंधी सभी दस्तावेज सीधे उन्हीं से साझा कर देती है। इसमें सेबी का हस्तक्षेप बहुत कम हो जाता है। क्यूआईबी के पास इतनी क्षमता होती है कि वे हाई रिस्क इन्वेस्टमेंट को समझ और उसमें निवेश कर सकते हैं। क्यआईपी की शुरुआत सेबी ने 2006 में की थी। क्यूआईपी लाने के लिए कंपनी का लिस्टेड होना जरूरी होता है।