Edited By jyoti choudhary,Updated: 09 Apr, 2025 11:10 AM
एशियाई विकास बैंक (ADB) ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर पॉजिटिव आउटलुक जताते हुए चालू वित्त वर्ष 2025 में देश की GDP वृद्धि दर 6.7% रहने का अनुमान जताया है। बुधवार को जारी एशियन डेवलपमेंट आउटलुक (ADO) अप्रैल 2025 रिपोर्ट के मुताबिक, उच्च घरेलू मांग,...
बिजनेस डेस्कः एशियाई विकास बैंक (ADB) ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर पॉजिटिव आउटलुक जताते हुए चालू वित्त वर्ष 2025 में देश की GDP वृद्धि दर 6.7% रहने का अनुमान जताया है। बुधवार को जारी एशियन डेवलपमेंट आउटलुक (ADO) अप्रैल 2025 रिपोर्ट के मुताबिक, उच्च घरेलू मांग, ग्रामीण आय में सुधार, मजबूत सेवा क्षेत्र और नरम मुद्रास्फीति जैसे कारक इस विकास के प्रमुख चालक रहेंगे। ADB ने कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत लचीला विकास दिखा रहा है।
अगले वर्ष और भी तेजी की उम्मीद
ADB ने यह भी कहा है कि यदि अनुकूल मौद्रिक और राजकोषीय नीतियां जारी रहती हैं, तो वित्त वर्ष 2026 में GDP वृद्धि 6.8% तक पहुंच सकती है।
उपभोक्ता भावना में सुधार
ADB का मानना है कि शहरी मध्यम वर्ग के लिए घोषित हालिया टैक्स प्रोत्साहनों और ग्रामीण आय में वृद्धि से उपभोक्ता मांग में तेज उछाल देखने को मिलेगा। मुद्रास्फीति में नरमी के कारण उपभोक्ता भावना और मजबूत हो सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई 4.3% और अगले साल 4.0% रहने की संभावना है।
गवर्नमेंट पॉलिसी और सेक्टरल ग्रोथ
ADB के भारत कंट्री डायरेक्टर मियो ओका ने कहा कि भारत वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद लचीला विकास दिखा रहा है, जो सरकार द्वारा बुनियादी ढांचे में निवेश, रोजगार सृजन और विनिर्माण सुधारों पर ध्यान केंद्रित करने से संभव हो रहा है।
सेवा क्षेत्र: व्यापार सेवाओं, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के निर्यात से बना रहेगा विकास का मुख्य स्तंभ।
कृषि क्षेत्र: सर्दियों की फसल, खासकर गेहूं और दालों की बुवाई से अच्छा प्रदर्शन जारी रहेगा।
विनिर्माण: पिछली सुस्ती के बाद इस क्षेत्र में फिर से मजबूती आने की उम्मीद है।
बुनियादी ढांचा: शहरी क्षेत्रों में निवेश को 100 अरब रुपए के नए फंड से समर्थन मिलेगा।
जोखिम और चुनौतियां
हालांकि, ADB ने कुछ जोखिमों की ओर भी इशारा किया है। हाल ही में अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ोतरी से भारत के निर्यात को झटका लग सकता है। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के चलते कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि हो सकती है। निजी निवेश पर इसका प्रभाव पड़ सकता है लेकिन रेपो रेट में संभावित कटौती और नियोजित सुधार इन बाधाओं को कम कर सकते हैं।
रिपोर्ट यह भी स्पष्ट करती है कि विकास के ये पूर्वानुमान अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी की घोषणा (2 अप्रैल) से पहले तैयार किए गए थे, इसलिए इनका आकलन भविष्य के परिदृश्य के अनुसार बदल भी सकता है।