Edited By jyoti choudhary,Updated: 09 Sep, 2024 05:31 PM
भारत का कृषि रसायन निर्यात अगले चार वर्षों में 80,000 करोड़ रुपए से अधिक हो सकता है, अगर उद्योग को अनुकूल माहौल मिले। एएफसीआई और ईवाई की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है।
बिजनेस डेस्कः भारत का कृषि रसायन निर्यात अगले चार वर्षों में 80,000 करोड़ रुपए से अधिक हो सकता है, अगर उद्योग को अनुकूल माहौल मिले। एएफसीआई और ईवाई की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है।
वर्तमान निर्यात
वित्त वर्ष 2022-23 में कृषि रसायनों का निर्यात 43,223 करोड़ रुपए रहा था, जो घरेलू खपत से अधिक है।
उद्योग की चुनौतियां
- जटिल लाइसेंसिंग प्रक्रिया
- भंडारण और बिक्री के बुनियादी ढांचे में सुधार की आवश्यकता
- जैव कीटनाशक उत्पादन में प्रोत्साहन की कमी
- नए अणुओं के लिए पंजीकरण की जटिल प्रक्रिया
- आयात पर निर्भरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा
अनुकूल माहौल की आवश्यकता
- लाइसेंसिंग मानदंडों का सरलीकरण
- जैविक कीटनाशकों के उत्पादन को बढ़ावा
- पीएलआई जैसी योजनाओं के माध्यम से वैश्विक निवेश आकर्षित करना
- व्यापार समझौतों के माध्यम से निर्यात विस्तार
जीएसटी में कटौती की मांग
कृषि रसायनों पर जीएसटी को 18% से घटाकर 5% करने की मांग की गई है ताकि उद्योग को और बढ़ावा मिल सके।
मेक इन इंडिया पहल का योगदान
- 'मेक इन इंडिया' पहल को कृषि रसायनों के क्षेत्र में आयात निर्भरता कम करने और नए अवसर बनाने के लिए महत्वपूर्ण बताया गया है।
- यह पहल भारत को वैश्विक विनिर्माण और निर्यात केंद्र बनाने में मदद कर सकती है।
उपयोग की कमी
भारत में प्रति हेक्टेयर 400 ग्राम कृषि रसायनों का उपयोग होता है, जो वैश्विक औसत 2.6 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से काफी कम है।
वैश्विक भूमिका
भारत कृषि रसायनों के चौथे सबसे बड़े उत्पादक के रूप में उभर रहा है लेकिन आयात के मामले में चीन पर भारी निर्भरता की चुनौती का सामना कर रहा है।
2025 तक आर्थिक लक्ष्य
कृषि रसायन उद्योग की भूमिका को देखते हुए, यह भारत को 2025 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में मदद कर सकता है।