Edited By jyoti choudhary,Updated: 16 Dec, 2024 04:03 PM
दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी वाला देश अमेरिका इतिहास के सबसे बड़े राजकोषीय घाटे की तरफ बढ़ रहा है। फिस्कल ईयर के पहले दो महीनों में ही यह 624 अरब डॉलर पहुंच चुका है। यह पिछले साल के मुकाबले 64% अधिक है और 2020 में आई कोरोना महामारी के दौर से भी अधिक...
बिजनेस डेस्कः दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी वाला देश अमेरिका इतिहास के सबसे बड़े राजकोषीय घाटे की तरफ बढ़ रहा है। फिस्कल ईयर के पहले दो महीनों में ही यह 624 अरब डॉलर पहुंच चुका है। यह पिछले साल के मुकाबले 64% अधिक है और 2020 में आई कोरोना महामारी के दौर से भी अधिक है। अगर सरकार का घाटा इसी हिसाब से बढ़ता रहा तो देश के इतिहास में पहली बार यह 3.5 ट्रिलियन डॉलर पहुंच सकता है। महामारी के दौर में स्टीम्यूलस पैकेज के कारण देश का राजकोषीय घाटा 3.1 ट्रिलियन डॉलर रहा था। पिछले साल यह 1.8 ट्रिलियन डॉलर रहा था।
अमेरिका में फेडरल गवर्नमेंट ने नवंबर में $669 अरब खर्च किए। सरकार का खर्च तो बढ़ रहा है लेकिन उसका टैक्स रेवेन्यू कलेक्शन लगातार कम हो रहा है। नवंबर में यह $380 अरब रह गया। यह लगातार 17वां महीना है जब सरकार का खर्च उसकी कमाई यानी रेवन्यू से ज्यादा रहा। इस दौरान अमेरिका का कर्ज $27 ट्रिलियन से बढ़कर $36.2 ट्रिलियन पहुंच गया है। माना जा रहा है कि अगले दशक के दौरान सरकार के कुल टैक्स रेवेन्यू कलेक्शन का करीब 25% कर्ज के ब्याज का भुगतान करने में जा सकता है।
अमेरिका का कर्ज
अमेरिका की फेडरल सरकार पर $26.4 ट्रिलियन का घरेलू और $7.9 ट्रिलियन का बाहरी कर्ज है। सरकार पर फेडरल रिजर्व का $5.2 ट्रिलियन, म्यूचुअल फंड का $3.7 ट्रिलियन डॉलर, डिपॉजिटरी इंस्टीट्यूशंस का $1.6 ट्रिलियन, स्टेट एंड लोकल गवर्नमेंट्स का $1.7 ट्रिलियन, यूएस होल्डर्स सेविंग्स बॉन्ड्स का $5.7 ट्रिलियन, पेंशन फंड्स का $1 ट्रिलियन, $7 ट्रिलियन का इंट्रागवर्नमेंटल डेट और $480 अरब इंश्योरेंस कंपनियों का है। विदेशी कर्ज की बात करें तो जापान का सबसे अधिक $1.1 ट्रिलियन, चीन का $820 अरब, ब्रिटेन का $680 अरब और दूसरे देशों का $5.3 ट्रिलियन है।