Edited By jyoti choudhary,Updated: 26 Dec, 2024 05:40 PM
डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद से चीन के लिए चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। ट्रंप ने चीन से आयातित वस्तुओं पर अधिक टैरिफ लगाने की बात कही है, जिससे चीनी उत्पाद अमेरिका में महंगे हो जाएंगे और चीनी कंपनियों को नुकसान होगा। इस स्थिति में...
बिजनेस डेस्कः डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद से चीन के लिए चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। ट्रंप ने चीन से आयातित वस्तुओं पर अधिक टैरिफ लगाने की बात कही है, जिससे चीनी उत्पाद अमेरिका में महंगे हो जाएंगे और चीनी कंपनियों को नुकसान होगा। इस स्थिति में भारत, चीन के लिए संकट को अपने लिए अवसर में बदलने की कोशिश कर रहा है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) ने अमेरिका को निर्यात बढ़ाने के लिए पांच प्रमुख सेक्टर पर फोकस करने की रणनीति तैयार की है। ये सेक्टर हैं- इलेक्ट्रॉनिक्स, खिलौने, कपड़े, केमिकल और लेदर। ट्रंप द्वारा चीन पर उच्च टैरिफ लगाने की योजना के मद्देनजर, भारत इन सेक्टर्स में अमेरिका को निर्यात बढ़ाकर चीन को टक्कर देने का लक्ष्य रख रहा है।
क्या है ट्रंप का प्लान?
डोनाल्ड ट्रंप अगले महीने 20 जनवरी से अमेरिका के राष्ट्रपति का पदभार संभालने जा रहे हैं। ट्रंप ने कुछ दिनों पहले कहा था कि पदभार संभालने के बाद वह कनाडा और मैक्सिको पर 25 फीसदी और चीन पर 10 फीसदी शुल्क बढ़ाएंगे। चीन पर लगने वाला यह 10 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ होगा। ऐसे में चीन को अमेरिका में सामान एक्सपोर्ट करना पहले के मुकाबले काफी महंगा हो जाएगा।
भारत का क्या है प्लान?
FIEO के उपाध्यक्ष इसरार अहमद का कहना है कि इस बार हमें प्रतिक्रियात्मक होने के बजाय सक्रिय होने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हम 5 सेक्टर (इलेक्ट्रॉनिक्स, खिलौने, कपड़े, केमिकल और लेदर) के लिए एक रणनीति बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस रणनीति को सरकार का समर्थन है। भारतीय निर्यातक व्यापार की गतिशीलता को बदलने से अमेरिका में पैदा होने वाले उभरते अवसरों का लाभ उठा सकते हैं।
वित्तीय सहायता की आवश्यकता
एफआईईओ ने अमेरिकी बाजार में भारतीय वस्तुओं के शुल्क-मुक्त आयात के लिए जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रीफरेंसेस (GSP) को फिर से लागू करने की मांग की है। इसका उद्देश्य लेदर, इस्पात और प्लास्टिक जैसे क्षेत्रों के निर्यात को बढ़ावा देना है। संगठन का मानना है कि इससे भारतीय उत्पादों के लिए अमेरिकी बाजार में प्रवेश को आसान बनाया जा सकेगा।
इसके साथ ही संगठन ने भारत सरकार से एक्सपोर्टर्स को प्रदर्शनियों में भाग लेने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने का आग्रह भी किया है। एफआईईओ के अध्यक्ष इसरार अहमद के मुताबिक, देश में बड़ी फैक्ट्रियों और क्षमता निर्माण के कारण भारत को अब अमेरिकी बाजार में अपनी उपस्थिति को और मजबूत करना होगा। उन्होंने अमेरिकी बाजार में आक्रामक प्रचार की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, "हम मार्केट एक्सेस इनिशिएटिव (MAI) योजना के तहत अधिक फंडिंग की मांग कर रहे हैं, ताकि अगले तीन साल तक अमेरिका पर ध्यान केंद्रित किया जा सके।"
भारत और अमेरिका के व्यापार संबंध
पिछले कुछ वर्षों में भारत से अमेरिका को निर्यात में तेजी आई है। 2017 से 2023 के बीच भारत का अमेरिका के साथ एक्सपोर्ट 36.8 अरब डॉलर बढ़ा है। भारतीय उत्पादों के एक्सपोर्ट में प्रमुख रूप से स्मार्टफोन, टेलीकॉम डिवाइस, कपड़े, मोटर वाहन के कलपुर्जे, और इलेक्ट्रिक ट्रांसफॉर्मर जैसी वस्तुओं में काफी बढ़ोतरी हुई है।
चीन पर प्रभाव
यदि भारत की रणनीति सफल रहती है, तो इससे चीन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। ट्रंप ने भारत पर कोई टैरिफ नहीं लगाया है, जबकि चीन के उत्पादों पर बढ़े हुए टैरिफ के कारण उनका सामान महंगा होगा, जिससे अमेरिकी बाजार में भारतीय सामान अधिक सस्ता और प्रतिस्पर्धी बनेगा। इससे भारतीय कंपनियां अमेरिका में अपनी पकड़ मजबूत कर सकती हैं, जबकि चीन के सामान की बिक्री में कमी आने से उसकी अर्थव्यवस्था और कंपनियों पर दबाव पड़ेगा।