Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 Oct, 2024 12:03 PM
अगर आप प्याज, टमाटर और आलू की महंगाई से परेशान हैं, तो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के हालिया रिसर्च पेपर से आपको हैरानी हो सकती है। रिसर्च में खुलासा हुआ है कि उपभोक्ता चाहे इन सब्जियों के लिए कितना भी खर्च करें, किसानों को इसका बहुत कम हिस्सा मिलता है।
बिजनेस डेस्कः अगर आप प्याज, टमाटर और आलू की महंगाई से परेशान हैं, तो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के हालिया रिसर्च पेपर से आपको हैरानी हो सकती है। रिसर्च में खुलासा हुआ है कि उपभोक्ता चाहे इन सब्जियों के लिए कितना भी खर्च करें, किसानों को इसका बहुत कम हिस्सा मिलता है।
किसान को मिल रहा है कम पैसा
आरबीआई के रिसर्च के अनुसार, जब ग्राहक प्याज के लिए 100 रुपए प्रति किलो खर्च करता है, तो किसान को केवल 36% ही मिलता है। इसी तरह, टमाटर के मामले में किसानों को 33% और आलू के लिए 37% ही मिल पाता है।
यह भी पढ़ेंः शेयर बाजार में पैसा लगाने वालों के लिए जरूर खबर, Hyundai के IPO को लेकर आया बड़ा अपडेट
कृषि वितरण में सुधार की जरूरत
रिसर्च पेपर में यह भी सुझाव दिया गया है कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए कृषि वितरण प्रणाली में सुधार की जरूरत है। इसमें निजी मंडियों की संख्या बढ़ाने का सुझाव दिया गया है, ताकि वितरण में पारदर्शिता बढ़ सके और प्रतिस्पर्धा के माध्यम से स्थानीय कृषि बाजारों का बुनियादी ढांचा बेहतर हो सके।
यह भी पढ़ेंः ईरान-इज़राइल तनाव के बीच Ambani-Adani को बड़ा झटका, नेटवर्थ में आई गिरावट
सब्जियों के दाम में असमानता
शोध में बताया गया कि टमाटर, प्याज और आलू जैसी जल्दी खराब होने वाली सब्जियों के वितरण में असमानता है, जो इनकी कीमतों में उतार-चढ़ाव का मुख्य कारण है। साथ ही, इन सब्जियों के भंडारण और प्रसंस्करण के तरीकों में सुधार की सिफारिश की गई है, जिससे किसानों को बेहतर मूल्य मिल सके।
दालों की महंगाई पर भी शोध
शोध में दालों की महंगाई का भी विश्लेषण किया गया। इसमें पाया गया कि चने पर उपभोक्ता द्वारा खर्च किए गए 75% पैसे सीधे किसानों तक पहुंचते हैं, जबकि मूंग और अरहर के मामले में यह क्रमशः 70% और 65% है।