Edited By jyoti choudhary,Updated: 08 Feb, 2025 04:43 PM
![big change in income tax law finance minister will present](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2025_2image_16_42_236657528nirmala-ll.jpg)
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि वह आने वाले सप्ताह में लोकसभा में नया आयकर विधेयक पेश कर सकती हैं। यह विधेयक छह दशक पुराने आयकर अधिनियम का स्थान लेगा। उच्च सदन में पेश होने के बाद विधेयक पर व्यापक विचार-विमर्श के लिए संसद की स्थायी...
बिजनेस डेस्कः वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि वह आने वाले सप्ताह में लोकसभा में नया आयकर विधेयक पेश कर सकती हैं। यह विधेयक छह दशक पुराने आयकर अधिनियम का स्थान लेगा। उच्च सदन में पेश होने के बाद विधेयक पर व्यापक विचार-विमर्श के लिए संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को इस विधेयक को मंजूरी दे दी।
सीतारमण ने बजट पश्चात परंपरा के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के केंद्रीय निदेशक मंडल की बैठक को संबोधित करने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को नए आयकर विधेयक को मंजूरी दे दी। मुझे उम्मीद है कि इसे आने वाले सप्ताह में लोकसभा में पेश किया जाएगा। इसके बाद यह संसदीय समिति के पास जाएगा।'' संसदीय समिति की इस पर सिफारिशों के बाद यह विधेयक फिर से मंत्रिमंडल के पास जाएगा। मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद इसे दोबारा संसद में पेश किया जाएगा। सीतारमण ने नए आयकर कानून लागू होने के समय के बारे में पूछे गए सवाल पर कहा, ‘‘इसे अभी भी तीन महत्वपूर्ण चरणों से गुजरना है।''
सीतारमण ने पहली बार जुलाई 2024 के बजट में आयकर अधिनियम, 1961 की व्यापक समीक्षा की घोषणा की थी। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर कानून की समीक्षा पर गौर करने और अधिनियम को संक्षिप्त, स्पष्ट और समझने में आसान बनाने के लिए एक आंतरिक समिति गठित की थी। नये आयकर अधिनियम से विवाद और मुकदमें कम होंगे। वित्त मंत्री ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि पिछले सप्ताह पेश बजट में सीमा शुल्क को तर्कसंगत बनाने की घोषणा पर पिछले दो साल से काम चल रहा था।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने दो साल पहले भी इस मामले में चीजों को तर्कसंगत बनाया था। हमने कुछ मानदंड भी तय किए हैं। डंपिंग रोधी शुल्क भारत की अपनी विनिर्माण क्षमताओं के संरक्षण का एक उपाए है लेकिन इस मामले में शुल्क कोई सदा के लिए नहीं है।'' सीतारमण ने कहा कि ऐसी हर समाप्ति तिथि करीब आने के साथ, सरकार इसकी गहन समीक्षा करेगी और केवल असाधारण मामलों में शुल्क दरों को बढ़ाया जाएगा लेकिन अक्सर उन्हें समाप्त किया जाना चाहिए ताकि संरक्षण कोई स्थायी उपाए न बन जाए। उन्होंने कहा, ‘‘यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। हम भारत को और अधिक निवेशक-अनुकूल, व्यापार-अनुकूल बनाना चाहते हैं। साथ ही इसे आत्मानिभर भारत के साथ संतुलित करना चाहते हैं, जहां हमें विशेष रूप से एमएसएमई (सूक्ष्म, छोटे एवं मझोले उद्यम) के माध्यम से उत्पादन करने की आवश्यकता है। हम उद्योग की जरूरत के अनुसार शुल्क दर के जरिये आवश्यक सुरक्षा प्रदान करेंगे।''