Edited By jyoti choudhary,Updated: 06 Jan, 2025 11:09 AM
नए साल के अवसर पर देश के प्रमुख औद्योगिक समूह टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस ने अपने परिचालन में एक अहम बदलाव की घोषणा की है। सूत्रों के अनुसार, टाटा संस ने ग्रुप की प्रमुख कंपनियों, विशेष रूप से टाटा डिजिटल, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और एयर इंडिया...
बिजनेस डेस्कः नए साल के अवसर पर देश के प्रमुख औद्योगिक समूह टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस ने अपने परिचालन में एक अहम बदलाव की घोषणा की है। सूत्रों के अनुसार, टाटा संस ने ग्रुप की प्रमुख कंपनियों, विशेष रूप से टाटा डिजिटल, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और एयर इंडिया को अपने कर्ज और देनदारियों का स्वतंत्र प्रबंधन करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही टाटा संस ने बैंकों को लेटर ऑफ कंफर्ट और क्रॉस-डिफॉल्ट क्लॉज जारी करने की परंपरा समाप्त करने का निर्णय लिया है। नए दृष्टिकोण के तहत, टाटा संस ने बैंकों को सूचित किया है कि भविष्य में समूह की नई कंपनियों को पूंजी आवंटन इक्विटी निवेश और आंतरिक स्रोतों के माध्यम से किया जाएगा।
टाटा संस ने पिछले साल आरबीआई के साथ अपने पंजीकरण प्रमाणपत्र को स्वेच्छा से सरेंडर कर दिया था। इससे पहले उसने अनलिस्टेड बने रहने के लिए 20,000 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज चुकाया था। सूत्रों ने बताया कि नए बिजनस के लिए फंडिंग मुख्य रूप से लाभांश और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) से की जाएगी। टीसीएस मार्केट कैप के हिसाब से टाटा ग्रुप की सबसे बड़ी और देश की दूसरी बड़ी कंपनी है। टाटा संस ने बैंकों से कहा है कि प्रत्येक कैटगरी में लीडिंग लिस्टेड कंपनी ही होल्डिंग एंटिटी के रूप में कार्य करेगी। इस बारे में टाटा संस ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया।
किन कंपनियों पर पड़ेगा असर
सूत्रों ने कहा कि परंपरागत रूप से अधिकांश पुरानी लिस्टेड ग्रुप कंपनियां जैसे टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा पावर और टाटा कंज्यूमर खुद ही अपने डेट को मैनेज करती हैं। इसलिए टाटा संस के रुख में बदलाव से उन पर कोई खास असर पड़ने की संभावना नहीं है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में टाटा संस द्वारा शुरू किए गए बिजनस पूंजी आवंटन के लिए होल्डिंग कंपनी पर निर्भर रहे हैं। एक सूत्र ने कहा कि महत्वपूर्ण स्केल पर पहुंचने के बाद ये कंपनियां भी अपनी पूंजी आवश्यकताओं का प्रबंधन खुद ही करेंगी।
टाटा संस इन कंपनियों को कुछ वर्षों में अपने टॉप बिजनस में शामिल करने के लिए तैयार कर रहा है और इनमें महत्वपूर्ण फंडिंग हुई है। हालांकि बैंकों को टाटा की ऑपरेटिंग कंपनियों को कर्ज देने में कोई दिक्कत नहीं है। इसकी वजह यह है कि इन कंपनियों में टाटा संस की अहम हिस्सेदारी है। बैंकरों ने कहा कि होल्डिंग कंपनी की वित्तीय स्थिरता और उसकी सहायक कंपनियों में बड़ी इक्विटी हिस्सेदारी स्पष्ट गारंटी के बिना भी बैंकों को आश्वासन प्रदान करती है। यह वजह है कि अधिकांश बड़े बैंक टाटा की कंपनियों को ज्यादा से ज्यादा कर्ज देते हैं।
वित्तीय स्थिति में बदलाव
सितंबर 2022 में, RBI ने टाटा संस को अपर लेयर एनबीएफसी के रूप में वर्गीकृत किया था। इस कैटगरी में आने वाली कंपनियों के लिए तीन साल के भीतर लिस्ट होना आवश्यक है। टाटा संस ने इससे छूट मांगी है। मार्च 2023 और मार्च 2024 के बीच टाटा संस की वित्तीय स्थिति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। कंपनी पर 20,642 करोड़ रुपये के कर्ज था और अब उसके पास 2,670 करोड़ रुपए की नकदी है। मार्च 2024 में, टाटा संस ने TCS में 23.4 मिलियन शेयर बेचकर लगभग 9,300 करोड़ रुपए जुटाए गए। सूत्रों ने बताया कि इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से कर्ज चुकाने में किया गया।