Edited By jyoti choudhary,Updated: 16 Jan, 2025 11:59 AM
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भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने म्यूचुअल फंड और डीमैट अकाउंट्स में नॉमिनेशन के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। नए नियमों के तहत निवेशक अब अपने डीमैट खाते या म्यूचुअल फंड फोलियो में अधिकतम 10 व्यक्तियों को नॉमिनी के रूप में जोड़ सकते हैं।...
बिजनेस डेस्कः भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने म्यूचुअल फंड और डीमैट अकाउंट्स में नॉमिनेशन के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। नए नियमों के तहत निवेशक अब अपने डीमैट खाते या म्यूचुअल फंड फोलियो में अधिकतम 10 व्यक्तियों को नॉमिनी के रूप में जोड़ सकते हैं। यह संशोधित नियम 1 मार्च, 2025 से लागू होगा।
सेबी का यह नया बदलाव निवेशकों के संपत्ति वितरण को बेहतर तरीके से प्रबंधित करने और क्लेम न की जाने वाली संपत्तियों की संख्या को कम करने के उद्देश्य से लागू किया गया है। अक्सर निवेशकों के निधन या गंभीर बीमारी की स्थिति में परिवार के सदस्य संपत्ति को लेकर विवादों में उलझ जाते हैं या कोई व्यक्ति क्लेम नहीं करता। इस स्थिति से निपटने के लिए सेबी ने यह कदम उठाया है।
अब, निवेशकों को नॉमिनी का पूरा विवरण देना होगा, जिसमें फोन नंबर, ईमेल, पता, आधार नंबर, पैन नंबर, ड्राइविंग लाइसेंस नंबर जैसी जानकारी शामिल होगी और नॉमिनी के साथ रिश्ते को भी स्पष्ट करना होगा। इसके अलावा, नॉमिनी का निर्धारण केवल निवेशक द्वारा किया जा सकेगा, न कि उनके पावर ऑफ अटॉर्नी (पीओए) द्वारा।
नई गाइडलाइनों के अनुसार, म्यूचुअल फंड और डीमैट अकाउंट में नामित व्यक्ति को अन्य नॉमिनियों के साथ जॉइंट होल्डर बनने या अलग फोलियो बनाने का विकल्प होगा। इसके साथ ही, रजिस्टर्ड नॉमिनी को एसेट ट्रांसफर करने के लिए मृत निवेशक का डेथ सर्टिफिकेट और नॉमिनी का केवाईसी पूरा होना जरूरी होगा।
सेबी ने यह सुनिश्चित किया है कि निवेशकों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से नामांकन फॉर्म जमा करने का विकल्प मिलेगा और प्रत्येक नॉमिनी सबमिशन पर एक एक्नॉलेजमेंट दिया जाएगा, जिससे प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे। विनियमित संस्थाओं को नॉमिनी और एक्नॉलेजमेंट का रिकॉर्ड आठ साल तक बनाए रखना होगा।
शारीरिक रूप से अक्षम निवेशकों के लिए नए नियमों के तहत, म्यूचुअल फंड या ब्रोकर को नॉमिनी में से एक व्यक्ति को अकाउंट हैंडल करने का विकल्प देना होगा। इसके साथ ही, शारीरिक रूप से अक्षम निवेशक को अपने अकाउंट में परिसंपत्तियों का प्रतिशत और संपूर्ण वैल्यू तय करने का अधिकार मिलेगा। एसेट मैनेजमेंट कंपनियों को इस प्रक्रिया में निवेशक की व्यक्तिगत मंजूरी लेना अनिवार्य होगा।