Edited By jyoti choudhary,Updated: 19 Feb, 2025 11:58 AM
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सरकार इंश्योरेंस सेक्टर को अधिक पारदर्शी और ग्राहकों के लिए लाभदायक बनाने के लिए अहम बदलाव कर रही है। इन बदलावों का मकसद मिस-सेलिंग रोकना और ज्यादा से ज्यादा लोगों को बीमा कवरेज के दायरे में लाना है। नए नियमों में ‘फ्री-लुक पीरियड’ को बढ़ाना और...
बिजनेस डेस्कः सरकार इंश्योरेंस सेक्टर को अधिक पारदर्शी और ग्राहकों के लिए लाभदायक बनाने के लिए अहम बदलाव कर रही है। इन बदलावों का मकसद मिस-सेलिंग रोकना और ज्यादा से ज्यादा लोगों को बीमा कवरेज के दायरे में लाना है। नए नियमों में ‘फ्री-लुक पीरियड’ को बढ़ाना और ‘कॉम्पोजिट इंश्योरेंस लाइसेंस’ की शुरुआत शामिल है। इससे पॉलिसीधारकों को अधिक लचीलापन मिलेगा, गलत तरीके से पॉलिसी बेचने की घटनाएं कम होंगी और एक ही लाइसेंस से कई बीमा सेवाएं उपलब्ध हो सकेंगी।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, गलत हथकंडे अपनाकर पॉलिसी बेचने की समस्या को कम करने के लिए एक अहम कदम है। अहम बदलाव में 'फ्री-लुक पीरियड' को पॉलिसी मिलने की तारीख से एक महीने की जगह बढ़ाकर एक साल करना शामिल है। इससे पॉलिसीधारक पॉलिसी लेने के बाद शर्तों को अच्छे से देख पाएंगे। अगर जरूरत ना हो तो उसे कैंसल भी कर सकते हैं। सरकार एक 'कॉम्पोजिट इंश्योरेंस लाइसेंस' पर भी विचार कर रही है। इससे इंश्योरेंस कंपनियां एक ही संस्था के तहत लाइफ और नॉन-लाइफ यानी हेल्थ इंश्योरेंस समेत सभी इंश्योरेंस प्रॉडक्ट्स दे पाएंगी। इसके अलावा, योजना है कि इंश्योरेंस प्रॉडक्ट्स सिर्फ प्रशिक्षित एजेंट्स ही बेच सकेंगे।
100% एफडीआई
फाइनैंशल सर्विसेज सेक्रेटरी एम. नागराजू ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इंश्योरेंस कानूनों में होने वाले इन बदलावों का ऐलान किया। उन्होंने बताया कि इंश्योरेंस सेक्टर में 100% FDI के लिए कानून में बदलाव जरूरी है। इस पर अंदरूनी बातचीत लगभग पूरी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि कानून में बदलाव के साथ-साथ, निवेश, मुनाफे की वापसी और इंश्योरेंस कंपनियों के मैनेजमेंट से जुड़े नियमों में भी बदलाव किया जाएगा। संसद से कानून पास होने के बाद ये नियम लागू कर दिए जाएंगे।
नागराजू ने कहा, सरकार इंश्योरेंस में बड़े बदलाव कर रही है जिससे देश में अधिक से अधिक लोग इंश्योरेंस के दायरे में आ सकेंगे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहले ही कह चुकी हैं कि विदेशी कंपनियां 100% निवेश कर सकेंगी। इन बदलावों में एक ही लाइसेंस से कई तरह के इंश्योरेंस बेचने की भी इजाजत शामिल है। ये सारे बदलाव वित्त मंत्री के ही बताए गए सुधारों के तहत होंगे।
ठगी से मिलेगी निजात
नागराजू ने बताया कि अक्सर बैंक ग्राहकों को जबरदस्ती इंश्योरेंस दिलाने की कोशिश करते हैं, जिससे गलत तरीके से पॉलिसी बेची जाती है। छोटे व्यापार करने वाले या घर खरीदने वाले लोग कई बार मजबूर होकर इंश्योरेंस ले लेते हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने एक साल का 'फ्री-लुक पीरियड' लागू किया है और इंश्योरेंस कंपनियों को भी इसे अपनाने के लिए कहा है।
नागराजू ने कहा, 'अगर कोई पॉलिसी वापस करना चाहता है, तो उसे करने दिया जाना चाहिए। हमने इंश्योरेंस कंपनियों से कहा है कि वो ग्राहकों को कॉलबैक करें, जिससे गलत तरीके से पॉलिसी बेचने से बचा जा सके। उन्होंने बताया कि प्राइवेट कंपनियों को भी यही करने को कहा गया है जिससे जो ग्राहक सच में इंश्योरेंस लेना चाहते हैं, उन्हें पूरी जानकारी मिल सके। हमने बैंकों और दूसरे वित्तीय संस्थानों को भी निर्देश दिया है कि सिर्फ प्रशिक्षित इंश्योरेंस एजेंट ही पॉलिसी बेच सकेंगे। ये सब कदम शिकायतें कम करने के लिए उठाए गए हैं।'