Edited By jyoti choudhary,Updated: 28 Jun, 2024 12:42 PM
![big relief of gst to foreign holding companies](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2024_6image_12_41_572405378gst-ll.jpg)
अपनी भारतीय सहायक कंपनियों को कर्ज देने वाली विदेशी कंपनियों को बड़ी राहत देते हुए टैक्स अथॉरिटी ने स्पष्ट किया है कि इन लेनदेन पर कोई वस्तु एवं सेवा कर (GST) नहीं लगाया जाएगा। यह बात कुछ शर्तों पर निर्भर करेगी। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क...
नई दिल्लीः अपनी भारतीय सहायक कंपनियों को कर्ज देने वाली विदेशी कंपनियों को बड़ी राहत देते हुए टैक्स अथॉरिटी ने स्पष्ट किया है कि इन लेनदेन पर कोई वस्तु एवं सेवा कर (GST) नहीं लगाया जाएगा। यह बात कुछ शर्तों पर निर्भर करेगी। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने कहा कि इन कर्ज पर ब्याज के रूप में ली जाने वाली राशि के अलावा कोई भी अतिरिक्त शुल्क, कमीशन या उस तरह का कुछ भी 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी के दायरे में आएगा।
इस कदम से समूह की कंपनियों में लोन/क्रेडिट पर कर लगाने से संबंधित अनिश्चितता खत्म होने की उम्मीद है, जो उन सैकड़ों विदेशी कंपनियों को परेशान कर रही हैं, जहां जीएसटी जांच के दौरान यह मसला उठा था और इसके परिणामस्वरूप कर वसूली के नोटिस भेजे गए थे। कराधान के लिहाज से इस मसले में विदेशी साझेदारों से आयात की गई सेवाओं का मूल्यांकन करना शामिल था, जब ये सेवाएं हासिल करने वाले भारतीय प्राप्तकर्ता इनपुट टैक्स (ITC) के लिए संपूर्ण क्रेडिट का दावा कर सकते थे।
सीबीआईसी ने स्पष्ट किया है कि ऐसी सेवाओं के लिए खुले बाजार का मूल्य भारतीय कंपनी द्वारा बनाए गए बिल की राशि हो सकती है, यह मानते हुए कि संपूर्ण आईटीसी उपलब्ध है। अगर कोई बिल मौजूद नहीं है, तो सेवा मूल्य को शून्य माना जा सकता है। केपीएमजी के अप्रत्यक्ष कर प्रमुख और साझेदार अभिषेक जैन ने कहा ‘समूह की कंपनियों के बीच ऋणों की कर देयता पर बड़ी मुकदमेबाजी को शांत करने के लिए यह स्पष्टीकरण काफी जरूरी था। दिलचस्प बात यह है कि सीबीआईसी के परिपत्र में बरकरार रखे गए सिद्धांत संबंधित पक्षों के बीच विभिन्न मुफ्त लेनदेन की कर देयता का मूल्यांकन करने में काफी हद तक सहायता कर सकते हैं।’
इसी तरह अगर कोई विदेशी कंपनी घरेलू फर्मों के कर्मचारियों को ईसॉप, ईएसपीपी या प्रतिबंधित स्टॉक यूनिट योजना जारी करने पर कोई शुल्क लगाती है या अतिरिक्त शुल्क मांगती है, तो जीएसटी लागू होगा। यह मसला भारतीय सहायक कंपनियों और उनकी होल्डिंग कंपनियों के बीच प्रतिपूर्ति के संबंध में था, जहां होल्डिंग कंपनी के शेयरों/प्रतिभूतियों को सीधे कर्मचारी को आवंटित करने का विकल्प होता है। यह स्पष्ट करता है कि लागत-से-लागत के आधार पर प्रतिपूर्ति पर जीएसटी नहीं लगता है। ऐसे लेनदेन कर योग्य सेवा नहीं हैं।
ईवाई के टैक्स पार्टनर सौरभ अग्रवाल ने कहा यह घटनाक्रम अनुपालन और बेहतरीन कर नियोजन दोनों के ही मामले में ईसॉप लेनदेन को सावधानीपूर्वक संरचित करने के महत्व को रेखांकित करता है। इसके अलावा यह विभिन्न कारोबारी परिदृश्यों में लागत-से-लागत प्रतिपूर्ति के कराधान पर व्यापक बहस को जन्म देता है, जो समान संदर्भों में जीएसटी की व्यावहारिकता की व्याख्याओं को संभावित रूप से प्रभावित करता है।