Edited By jyoti choudhary,Updated: 31 Mar, 2025 01:54 PM

बैंक ऑफ अमेरिका (BofA) ग्लोबल रिसर्च के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अप्रैल में होने वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट में कटौती कर सकता है। अनुमान है कि RBI रेपो रेट में 25 आधार अंक (0.25%) की कटौती कर इसे 6% तक ला सकता है। इस...
बिजनेस डेस्कः बैंक ऑफ अमेरिका (BofA) ग्लोबल रिसर्च के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अप्रैल में होने वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट में कटौती कर सकता है। अनुमान है कि RBI रेपो रेट में 25 आधार अंक (0.25%) की कटौती कर इसे 6% तक ला सकता है। इस फैसले के पीछे प्रमुख कारण मुद्रास्फीति (इन्फ्लेशन) का अगले कुछ महीनों तक 4% से नीचे बने रहना और रुपए पर दबाव में कमी बताई जा रही है। बैठक 7 अप्रैल से शुरू होगी और इसके नतीजों का ऐलान 9 अप्रैल को होगा।
रेपो रेट में कटौती के कारण
इन्फ्लेशन कंट्रोल: BofA का कहना है कि महंगाई काबू में है, जिससे RBI के पास दरों में कटौती की गुंजाइश है।
ग्रोथ की सुस्ती: देश की आर्थिक वृद्धि दर (GDP) अपेक्षाकृत धीमी होने के कारण नीतिगत दरों में कटौती की संभावना बढ़ गई है।
आयात शुल्क का असर: 2 अप्रैल से लागू होने वाले नए आयात शुल्क से थोड़ी अनिश्चितता रह सकती है, लेकिन इसका MPC के फैसले पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।
2025 के अंत तक और कटौती संभव: BofA को उम्मीद है कि 2025 के अंत तक रेपो रेट 5.5% तक आ सकता है यानी इस साल कुल 1% (100 आधार अंक) की कटौती की जा सकती है।
RBI की लिक्विडिटी रणनीति
- RBI ने दिसंबर 2024 से अब तक बैंकिंग सिस्टम में 5 लाख करोड़ रुपए की लिक्विडिटी डाल दी है।
- आगे भी कर्ज की उपलब्धता बढ़ाने और बाजार में नकदी बनाए रखने के लिए RBI अतिरिक्त कदम उठा सकता है।
गर्मी और फसल उत्पादन का असर
BofA का मानना है कि RBI आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने पर ध्यान देगा, लेकिन मुद्रास्फीति को 2-6% के लक्ष्य सीमा में बनाए रखेगा। गर्मियों में हीटवेव के कारण खाद्य महंगाई में मामूली बढ़ोतरी हो सकती है, लेकिन बेहतर फसल उत्पादन से इसका प्रभाव संतुलित हो सकता है।