Edited By jyoti choudhary,Updated: 08 Mar, 2024 01:48 PM
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देश की इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री ने इस समय धूम मचाई है। करीब दस साल पहले देश की इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री ने जो टारगेट सेट किया था उसे सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इस बारे में जानकारी सामने आई है, इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) की...
बिजनेस डेस्कः देश की इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री ने इस समय धूम मचाई है। करीब दस साल पहले देश की इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री ने जो टारगेट सेट किया था उसे सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इस बारे में जानकारी सामने आई है, इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) की रिपोर्ट में, जिसमें कहा गया है कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल मैन्युफैक्चरर बन गया है।
ICEA की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने 10 सालों के दौरान 4.1 लाख करोड़ रुपए के कुल 2.45 अरब मोबाइल फोन बनाए। वहीं अगर करीब दस साल पहले के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2014-15 में यह आंकड़ा महज 18,900 करोड़ रुपए था। बता दें, इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन, एप्पल, शाओमी, ओप्पो, वीवो, लावा आदि कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है।
10 साल में तेजी से बढ़ा एक्सपोर्ट
एसोसिएशन का कहना है कि भारत का यह सेक्टर आज से दस साल पहले यानी 2014 में जहां 78 फीसदी इंपोर्ट पर निर्भर था, वहीं अब यह फिलहाल 97 फीसदी तक आत्मनिर्भर हो गया है। इंडस्ट्री ने अगले 10 वर्षों में 20 लाख करोड़ का टारगेट तय किया था और 19.45 लाख करोड़ के कुल प्रोडक्शन का लक्ष्य हासिल किया।
कितना हुआ एक्सपोर्ट
वित्त वर्ष 2014-15 में भारत से मोबाइल फोन का एक्सपोर्ट सिर्फ 1,556 करोड़ रुपए था। मोबाइल इंडस्ट्री को वित्त वर्ष 2024 में यह अनुमान बढ़कर 1.2 लाख करोड़ हो जाने की उम्मीद है यानी एक दशक में इसमें 7500 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।
आंकडो़ं के अनुसार साल 2014-24 के दौरान एक्सपोर्ट बढ़कर 3.22 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया। ICEA का कहना है कि एक्सपोर्ट में आई इस तेज ग्रोथ की वजह से ही मोबाइल फोन भारत की 5वीं सबसे बड़ा एक्सपोर्ट कमोडिटी बन गई है।