BSE-NSE ने ट्रांजेक्शन शुल्क में किया बदलाव, 1 अक्टूबर से लागू होंगी नई दरें

Edited By jyoti choudhary,Updated: 28 Sep, 2024 11:22 AM

bse nse changed the transaction fee

BSE और NSE ने कैश और फ्यूचर ऑप्शन डील के लिए अपने ट्रांजेक्शन शुल्क में बदलाव किया है। सेबी द्वारा शेयर बाजार समेत बाजार के बुनियादी ढांचे से जुड़ी संस्थाओं के सभी सदस्यों के लिए एक समान शुल्क संरचना अनिवार्य किए जाने के बाद यह कदम

बिजनेस डेस्कः अगर आप भी शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो यह खबर आपके काम की है। देश के प्रमुख शेयर बाजारों BSE और NSE ने कैश और फ्यूचर ऑप्शन डील के लिए अपने ट्रांजेक्शन शुल्क में बदलाव किया है। सेबी द्वारा शेयर बाजार समेत बाजार के बुनियादी ढांचे से जुड़ी संस्थाओं के सभी सदस्यों के लिए एक समान शुल्क संरचना अनिवार्य किए जाने के बाद यह कदम उठाया गया है। शेयर बाजारों की ओर से जारी अलग-अलग सर्कुलर में कहा गया था कि बदली हुई दरें 1 अक्टूबर से लागू होंगी।

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सेबी की अधिसूचना के बाद किए गए बदलाव

BSE ने इक्विटी फ्यूचर और ऑप्शन कैटेगरी में सेंसेक्स और बैंकेक्स ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के लिए ट्रांजेक्शन शुल्क में बदलाव करते हुए इसे 3,250 रुपए प्रति करोड़ प्रीमियम टर्नओवर कर दिया है। हालांकि, इक्विटी फ्यूचर और ऑप्शन कैटेगरी में अन्य कॉन्ट्रैक्ट के लिए ट्रांजेक्शन शुल्क में कोई बदलाव नहीं किया गया है। सेंसेक्स 50 ऑप्शंस और स्टॉक ऑप्शंस के लिए BSE प्रति करोड़ प्रीमियम टर्नओवर पर 500 रुपए ट्रांजेक्शन फीस लेता है। इंडेक्स और स्टॉक फ्यूचर्स के लिए कोई ट्रांजेक्शन फीस लागू नहीं है।

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कैश मार्केट सेगमेंट के लिए एक समान ट्रांजेक्शन चार्ज लगाया गया

NSE ने अब कैश मार्केट सेगमेंट के लिए एक समान ट्रांजेक्शन चार्ज लगाया है। अब हर एक लाख रुपए के कारोबार पर दोनों तरफ 2.97 रुपए का शुल्क लगेगा। इससे पहले स्टॉक एक्सचेंज कैश सेगमेंट में एक महीने में कारोबार के कुल मूल्य के अलग-अलग स्लैब के लिए 2.97-3.22 रुपए प्रति साइड चार्ज कर रहा था। एनएसई ने इक्विटी फ्यूचर्स सेगमेंट में चार्ज में संशोधन किया है। अब एक लाख ट्रेड वैल्यू पर दोनों तरफ 1.73 रुपए का शुल्क लगेगा।

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SEBI ने जुलाई में जारी किया था सर्कुलर

सेबी ने जुलाई में मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस (MIIs) की ओर से लगाए गए चार्जेस को लेकर एक सर्कुलर जारी किया था। इसमें कहा गया कि MIIs के पास सभी सदस्यों के लिए एक समान फीस स्ट्रक्चर होना चाहिए, जो मौजूदा वॉल्यूम बेस्ड स्लैब सिस्टम की जगह लेगा। इसके अलावा सर्कुलर में यह भी स्पष्ट किया गया कि ट्रेडिंग मेंबर्स की ओर से अपने क्लाइंट्स से वसूले जाने वाले चार्जेस, MII को उनकी ओर से दिए जाने वाले चार्जेस से मेल खाने चाहिए, ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।
 

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