Edited By jyoti choudhary,Updated: 18 Jun, 2024 11:34 AM
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अगले महीने के दूसरे पखवाड़े में पूर्ण बजट पेश करते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.1 फीसदी पर अपरिवर्तित रख सकती हैं। उन्होंने अंतरिम बजट में भी राजकोषीय घाटे...
बिजनेस डेस्कः केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अगले महीने के दूसरे पखवाड़े में पूर्ण बजट पेश करते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.1 फीसदी पर अपरिवर्तित रख सकती हैं। उन्होंने अंतरिम बजट में भी राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को जीडीपी के 5.1 फीसदी रहने का अनुमान जाहिर किया था। यह जानकारी बजट बनाने की प्रक्रिया की शुरुआती चर्चाओं में शामिल नीति निर्धारण टीम के तीन अधिकारियों ने दी।
यह जानकारी ऐसे समय में आई है जब केंद्र में गठबंधन सरकार ने इसी महीने सत्ता संभाली है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि सरकार पूंजीगत व्यय पर जोर दे सकती है। सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के कुछ घटक दल विशेष पैकेज की भी उम्मीद कर रहे हैं। एक अधिकारी ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2025 के लिए राजकोषीय मजबूती की रूपरेखा अंतरिम बजट में प्रस्तुत रूपरेखा से अलग नहीं हो सकती है। मगर ऐसे मामलों में कोई भी अंतिम निर्णय लेने के लिए राजनीति दृष्टिकोण पर गौर करना आवश्यक होता है। हम पूर्ण बजट में इस पर गहराई से विचार करेंगे।’
भारतीय रिजर्व बैंक ने 2.11 लाख करोड़ रुपए का रिकॉर्ड लाभांश भुगतान किया है। इससे वृद्धि को रफ्तार देने में सरकार को अतिरिक्त ताकत मिलेगी। इसे देखते हुए ऐसा लगता है कि खजाने को मजबूत बनाने पर वित्त मंत्री का जोर रहेगा। सरकार ने वित्त वर्ष 2025 में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.1 प्रतिशत (16.85 लाख करोड़ रुपए) तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा था और वित्त वर्ष 2024 के लिए अपने पूर्व के अनुमान 5.9 प्रतिशत को संशोधित कर 5.8 प्रतिशत कर दिया था। वित्त वर्ष 2024 में यह और कम होकर 5.6 प्रतिशत रह गया।
विशेषज्ञों को लगता है कि तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सरकार राजकोषीय घाटा धीरे-धीरे कम करने की मौजूदा नीति पर चलती रहेगी। उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने सरकार से पूंजीगत व्यय और बढ़ाने का अनुरोध किया है। उन्होंने सरकार को सलाह दी है कि इसे वित्त वर्ष 2024 के संशोधित अनुमान से 25 प्रतिशत बढ़ा दिया जाए।
भारतीय उद्योग परिसंघ के अध्यक्ष संजीव पुरी ने भी बिज़नेस स्टैंडर्ड को हाल में दिए साक्षात्कार में कहा कहा कि रेटिंग में सुधार तो गुणात्मक बदलाव के आधार पर होना चाहिए। पुरी ने कहा, ‘सुधार प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए और राजकोषीय घाटा धीरे-धीरे कम करने की योजना के साथ सरकार को कोई बदलाव नहीं करना चाहिए। हमें अर्थव्यवस्था की प्राथमिकताओं और उनके लिए आवश्यक संसाधनों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।‘
ईवाई में मुख्य नीति सलाहकार डॉ. डी के श्रीवास्तव ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की धीमी चाल और भारत में निजी निवेश सुस्त रहने से आधारभूत ढांचे के विस्तार के साथ आर्थिक वृद्धि को मजबूती देना शीर्ष प्राथमिकता होनी चाहिए।