Edited By jyoti choudhary,Updated: 13 Jul, 2024 06:05 PM
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को केंद्रीय बजट पेश करने वाली हैं और विशेषज्ञों का अनुमान है कि आगामी बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए अधिक आवंटन किया जाएगा। ऐसा इसलिए कि हाल के दिनों में जिस तरह से आतंकवादी हमले बढ़े हैं और पाक के साथ स्थिति तनाव...
बिजनेस डेस्कः वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को केंद्रीय बजट पेश करने वाली हैं और विशेषज्ञों का अनुमान है कि आगामी बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए अधिक आवंटन किया जाएगा। ऐसा इसलिए कि हाल के दिनों में जिस तरह से आतंकवादी हमले बढ़े हैं और पाक के साथ स्थिति तनाव पूर्ण हुई है, उसको देखते हुए बजट में रक्षा खर्च बढ़ाने का ऐलान संभव है।
गौरतलब है कि भारत रक्षा खर्च के मामले में चीन से पीछे है, जैसे-जैसे भारत का कद और शक्ति बढ़ती जा रही है, चीन एक ऐसा पड़ोसी बनकर उभरा है जिसके साथ भारत की कुछ झड़पें हुई हैं। सुरक्षा खर्च को बढ़ाने के लिए, भारत की रणनीति चीन को दूर रखने पर केंद्रित होगी।
रक्षा बजट बढ़ाने की क्यों जरूरत
विशेषज्ञों का कहना है कि दक्षिण चीन सागर के तटीय इलाकों में चीन की हरकतें वैश्विक संघर्ष परिदृश्य को देखते हुए भारत की ओर से तैयारियों का संकेत देती हैं। उन्होंने कहा कि एलएसी और एलओसी पर चीन की हरकतें भारत के रक्षा क्षेत्र के लिए अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए चुनौतियां खड़ी करती हैं। भारत के रक्षा बजट से वैश्विक स्तर पर तेजी से बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्यों को पूरा करने की उम्मीद है। इसलिए रक्षा बजट को बढ़ाने की जरूरत है।
चीन बनाम भारत का रक्षा
चीन की आर्थिक मंदी के बावजूद, देश ने 2015 से अपने रक्षा व्यय को दोगुना कर दिया है। अंतरिम बजट 2024-25 में, मोदी सरकार ने लगभग 75 बिलियन डॉलर आवंटित किए थे। वहीं, 2024 के लिए चीन का रक्षा बजट 7.2 प्रतिशत बढ़कर चीनी युआन (CNY) 1.66554 ट्रिलियन हो जाएगा, जो 231.4 खरब अमरीकी डॉलर के बराबर है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य सहित चीन और पाकिस्तान से भारत के समक्ष उत्पन्न खतरे को देखते हुए, भारत को आगामी बजट में केंद्र सरकार के कुल व्यय का कम से कम 25 प्रतिशत खर्च करना चाहिए।