Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 Jun, 2024 12:51 PM
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध संगठनों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में पीएम किसान सम्मान निधि के मद में आवंटन बढ़ाने सहित कई अन्य सुझाव दिए हैं। इन संगठनों ने मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए व्यक्तिगत आय...
नई दिल्लीः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध संगठनों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में पीएम किसान सम्मान निधि के मद में आवंटन बढ़ाने सहित कई अन्य सुझाव दिए हैं। इन संगठनों ने मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए व्यक्तिगत आय कर घटाने और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली में भी सुधार का अनुरोध किया है। इन संगठनों का यह भी कहना है कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के कारण नौकरी गंवा रहे लोगों को अधिक हुनरमंद बनाने के लिए बजट में ‘रोबोट कर’ का भी प्रावधान किया जाए।
आएसएस से संबद्ध संस्थाओं जैसे भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ, लघु उद्योग भारती और स्वदेशी जागरण मंच के प्रतिनिधियों एवं अन्य पदाधिकारियों ने पिछले दो सप्ताहों के दौरान वित्त मंत्री को अपने सुझाव सौंपे हैं। वित्त मंत्रालय बजट से पूर्व विभिन्न क्षेत्रों एवं संगठनों के साथ चर्चा कर रहा है।
स्वदेशी जागरण मंच के अश्विनी महाजन ने अन्य अर्थशास्त्रियों के साथ वित्त मंत्री से 19 जून को मुलाकात की थी। उन्होंने प्रोत्साहन संबद्ध योजना (पीएलआई) की सराहना की मगर यह भी कहा कि इसमें अब सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस कदम से देश में रोजगार के अधिक अवसर तैयार करने में मदद मिलेगी। महाजन ने कहा कि आगामी रक्षा गलियारों में एमएसएमई क्षेत्रों के लिए भी जगह होनी चाहिए।
भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के सदस्यों ने कई अन्य व्यापार संघों के साथ वित्त मंत्री को अलग से ज्ञापन सौंपा। बीएमएस ने मनरेगा में कार्य दिवसों की संख्या साल में बढ़ाकर 200 दिन करने का सुझाव दिया। बीएमएस ने कहा कि इस रोजगार योजना में कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों में होने वाले कार्य भी शामिल किए जाने चाहिए। बीएमएस ने पुरानी पेंशन योजना बहाल करने का भी सुझाव दिया और केंद्र सरकार में सभी रिक्तियां भरने के लिए तेज से कदम उठाने की मांग की।
भारतीय किसान संघ ने पीएम किसान निधि की राशि 6,000 रुपए से बढ़ाने की मांग की। यह योजना वर्ष 2018-19 में शुरू की गई थी, जिसका मकसद किसानों को बढ़ती लागत से निपटने में मदद करना है। संघ ने कहा कि केंद्र को सिंचाई के मद में आवंटन बढ़ाने के साथ जलवायु परिवर्तन के कुप्रभावों को देखते हुए नदियों को जोड़ने के लिए भी रकम का प्रावधान करना चाहिए। किसान संघ ने कहा कि केंद्र को किसानों को नाम पर कंपनियों को दी जाने वाली ‘भारी सब्सिडी’ बंद करनी चाहिए क्योंकि सभी किसान इनसे लाभान्वित नहीं होते हैं।
संघ ने कहा कि किसान उर्वरक, औजार एवं बिजली खरीदने के लिए दूसरे संसाधनों का इस्तेमाल करते हैं। किसान संघ के महासचिव मोहिनी मोहन मिश्रा ने कहा कि किसानों को उनके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों एवं औजार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलना चाहिए क्योंकि वे (किसान) उत्पादक की श्रेणी में आते हैं। मिश्र ने कहा कि या फिर इन्हें जीएसटी मुक्त कर देना चाहिए। लघु उद्योग भारती ने जीएसटी प्रणाली में सुधार के सुझाव दिए।