Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 Jan, 2025 12:48 PM
कोविड-19 ने भारतीय कंपनियों को महत्वपूर्ण वित्तीय सबक दिया, जिसमें उन्होंने सीखा कि कैश रिजर्व का होना कितना जरूरी है। एसीई इक्विटीज के आंकड़ों के अनुसार, 30 सितंबर 2024 तक बीएसई 500 कंपनियों (बीएफएसआई और तेल-गैस को छोड़कर) के पास कुल 7.68 लाख करोड़...
बिजनेस डेस्कः कोविड-19 ने भारतीय कंपनियों को महत्वपूर्ण वित्तीय सबक दिया, जिसमें उन्होंने सीखा कि कैश रिजर्व का होना कितना जरूरी है। एसीई इक्विटीज के आंकड़ों के अनुसार, 30 सितंबर 2024 तक बीएसई 500 कंपनियों (बीएफएसआई और तेल-गैस को छोड़कर) के पास कुल 7.68 लाख करोड़ रुपए का कैश रिजर्व था, जो कोविड से पहले के मुकाबले 51% अधिक है।
विशेषज्ञों का मानना है कि महामारी के बाद भारतीय कंपनियों ने अपनी बैलेंस शीट को मजबूत करने पर जोर दिया। इस दौरान शेयर बाजार की मजबूती, आईपीओ और क्यूआईपी के जरिए पूंजी जुटाने, डिजिटाइजेशन और इंडस्ट्री कंसोलिडेशन जैसे कारकों ने कंपनियों की स्थिति को बेहतर किया है।
कैश रिजर्व बढ़ाने की दिशा में कंपनियों की पहल
कोविड महामारी ने भारतीय कंपनियों को अपनी बैलेंस शीट को हल्का करने और अधिक तरलता (कैश) बनाए रखने की आवश्यकता का एहसास कराया। एक्विरस के भावेश शाह के मुताबिक, "कंपनियों ने कोविड के बाद ज्यादा कैश रिजर्व बनाने पर जोर दिया, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति मजबूत हुई और कंज्यूमर बिहेवियर ने भी मदद की।"
शेयर बाजार और क्यूआईपी की भूमिका
शाह ने यह भी बताया कि आईपीओ और क्यूआईपी से कंपनियों को कर्ज चुकाने में मदद मिली है। "कंपनियों ने आईपीओ से जुटाए गए पैसे का बड़ा हिस्सा कर्ज चुकाने में लगाया और बाजार ने कर्ज-मुक्त कंपनियों को पुरस्कृत किया।"
मजबूत बैलेंस शीट की स्थिति
मार्च 2024 तक बीएसई 500 कंपनियों का डेब्ट-टू-ईबीआईटीडीए अनुपात 2.5x-2.7x तक गिर चुका है, जो कोविड-पूर्व 4.5x था, जिससे कंपनियों की वित्तीय स्थिति स्वस्थ मानी जा रही है।
कैश रिजर्व का 2025 में उपयोग
विशेषज्ञों का कहना है कि 2025 में कंपनियां अधिग्रहण और छोटी अवधि की परियोजनाओं पर ध्यान देंगी। साथ ही, कंपनियां भविष्य की मांग को पूरा करने के लिए विनिर्माण क्षमताओं में निवेश करेंगी और नकद रिजर्व को संरक्षित रखेंगी।
एमएंडए गतिविधियों में बढ़ोतरी
विश्लेषकों का मानना है कि अगले साल में भारतीय कंपनियां एमएंडए (मर्जर एंड एक्विजिशन) गतिविधियों में भी सक्रिय रहेंगी। कंपनियां छोटे खिलाड़ियों को अधिग्रहित कर अपनी बाजार स्थिति मजबूत कर रही हैं।
हालांकि वैश्विक व्यापार युद्ध और घरेलू मांग में कमी जैसी चुनौतियां हैं लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि मजबूत कैश रिजर्व और कम कर्ज के साथ भारतीय कंपनियां 2025 को आत्मविश्वास के साथ निपट सकती हैं।