Edited By jyoti choudhary,Updated: 05 Nov, 2024 05:28 PM
5 नवंबर यानी आज से नहाय खाय से शुरू होकर 8 नवंबर तक छठ का त्यौहार पूरे जोश के साथ सैलीब्रेट किया जाएगा। 4 दिन तक चलने वाले इस उत्सव में पूरे भारत खासकर बिहार और झारखंड के साथ साथ विभिन्न राज्यों में रहने वाले पूर्वांचली समुदायों के लोगों की भागीदारी...
बिजनेस डेस्कः 5 नवंबर यानी आज से नहाय खाय से शुरू होकर 8 नवंबर तक छठ का त्यौहार पूरे जोश के साथ सैलीब्रेट किया जाएगा। 4 दिन तक चलने वाले इस उत्सव में पूरे भारत खासकर बिहार और झारखंड के साथ साथ विभिन्न राज्यों में रहने वाले पूर्वांचली समुदायों के लोगों की भागीदारी देखी जाएगी।
छठ पूजा अनुष्ठानों में महिलाओं, पुरुषों और बच्चों सहित लगभग 15 करोड़ लोगों के शामिल होने की उम्मीद लगाई जा रही है। एक अनुमान के अनुसार इन 96 घंटों में देश की इकोनॉमी को 12,000 करोड़ रुपए का फायदा हो सकता है। कन्फैडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) की रिपोर्ट के अनुसार छठ पूजा के मौके पर देश भर में लगभग 12,000 करोड़ रुपए का व्यापार होगा, जो इसे भारत के सबसे सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक के रूप में चिह्नित करेगा।
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बिहार, झारखंड या फिर देश के पूर्वी हिस्सों में ही नहीं बल्कि दिल्ली में भी छठ पूजा को काफी भव्य तरीके से मनाया जाता है। कई बाजार पारंपरिक छठ पूजा की जरूरी चीजें खरीदने वाले लोगों से गुलजार हैं। कैट राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी. भरतिया के अनुसार छठ पूजा बिहार और झारखंड के अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, विदर्भ और मध्य प्रदेश में भी बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। इन राज्यों में कई पूर्वांचली रहते हैं, जो लोकल इकोनॉमी को बूस्ट करने का काम करते हैं। यह त्यौहार, जिसमें डूबते और उगते सूर्य दोनों की पूजा शामिल है, भारतीय संस्कृति की समावेशी प्रकृति का प्रतीक है।
इन सामानों की हो रही बिक्री
कैट के अनुसार बांस की टोकरियां, केले के पत्ते, गन्ना, मिठाइयां, फल और सब्जियां (विशेष रूप से नारियल, सेब, केले और हरी सब्जियां) जैसी आवश्यक छठ पूजा वस्तुओं की काफी डिमांड देखने को मिल रही है।
महिलाओं के लिए साड़ी, लहंगा-चुन्नी, सलवार-कुर्ता और पुरुषों के लिए कुर्ता-पायजामा, धोती सहित पारंपरिक पोशाकें बड़ी मात्रा में खरीदी जा रही हैं, जिससे स्थानीय व्यापारियों और लघु उद्योगों को लाभ हो रहा है। छोटे पैमाने पर उत्पादित हाथों से बनी वस्तुओं की भी अच्छी खासी बिक्री हो रही है।
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लोकल इकोनॉमी को मिल रहा बूस्ट
कैट के महासचिव और सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने इस बात पर जोर दिया कि छठ पूजा सिर्फ एक धार्मिक त्यौहार नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है, जो सामाजिक एकता और समर्पण को दर्शाता है। यह व्यापार को भी बढ़ावा देता है और स्थानीय उत्पादकों को सीधे लाभ पहुंचाता है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ (आत्मनिर्भर भारत) के दृष्टिकोण को मजबूत करता है।
उन्होंने कहा कि छठ पूजा के दौरान उपयोग किए जाने वाले अधिकांश उत्पाद स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों द्वारा तैयार किए जाते हैं, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं और कुटीर उद्योगों को समर्थन मिलता है। वहीं भरतिया के अनुसार छठ पूजा, अपने आध्यात्मिक महत्व से परे, व्यापार और रोजगार के लिए एक प्रमुख अवसर के रूप में उभरी है, जिससे भारतीय बाजारों में नई आर्थिक ऊर्जा आ रही है।