Edited By jyoti choudhary,Updated: 26 Dec, 2024 11:27 AM
वैश्विक आर्थिक हालातों को लेकर चिंता बढ़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि साल 2025 में दुनिया एक बार फिर आर्थिक मंदी की चपेट में आ सकती है। जर्मनी, ब्रिटेन और जापान जैसे देशों की अर्थव्यवस्था पहले से ही तनाव के संकेत दे रही है। भारत की धीमी होती...
बिजनेस डेस्कः वैश्विक आर्थिक हालातों को लेकर चिंता बढ़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि साल 2025 में दुनिया एक बार फिर आर्थिक मंदी की चपेट में आ सकती है। जर्मनी, ब्रिटेन और जापान जैसे देशों की अर्थव्यवस्था पहले से ही तनाव के संकेत दे रही है। भारत की धीमी होती जीडीपी वृद्धि भी इस ओर इशारा करती है।
किन देशों पर मंदी का असर?
ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 2024 की तीसरी तिमाही में शून्य वृद्धि दिखा रही है। जापान भी कमजोर घरेलू मांग के कारण आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, जहां औसत घरेलू लोन, औसत आय से अधिक हो गया है। न्यूजीलैंड में जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी में 1% की गिरावट दर्ज की गई है, जो 1991 और कोविड के बाद की सबसे खराब स्थिति है।
अमेरिका पर क्या असर होगा?
अमेरिका में मंदी की संभावना कम जरूर हुई है लेकिन यह पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। गोल्डमैन सैक्स ने अगले 12 महीनों में मंदी की आशंका को 20% से घटाकर 15% कर दिया है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि मुद्रास्फीति अमेरिका के लिए ज्यादा बड़ी चिंता है।
टाली जा सकती है मंदी
जूलियस बेयर के भास्कर लक्ष्मीनारायण ने कहा, 'मंदी का कोई संकेत नहीं है। अगर बाजार और अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही है तो मूल्य निर्धारण में कुछ तनाव हो सकता है।' उन्होंने सुझाव दिया कि मंदी नहीं, बल्कि मुद्रास्फीति अमेरिका में बड़ी चिंता हो सकती है।
ये कारण बढ़ा रहे चिंता
- डोनाल्ड ट्रंप जनवरी में अमेरिका का राष्ट्रपति पदभार संभालने जा रहे हैं। वह चीन समेत दुनिया के कई देशों पर टैरिफ बढ़ाने वाले हैं। इससे वैश्विक व्यापार और बाधित हो सकता है जिससे आर्थिक दबाव बढ़ सकता है।
- इस समय यूक्रेन और मध्य पूर्व में चल रहे युद्ध और भू-राजनीतिक तनाव भी आर्थिक मंदी की आहट का संकेत दे रहे हैं। इससे जर्मनी और फ्रांस जैसी प्रमुख यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं में संकट पैदा हो सकता है।
स्थिति इतनी भी गंभीर नहीं
जेपी मॉर्गन का अनुमान है कि 2025 की पहली छमाही में वैश्विक मंदी की संभावना सिर्फ 15% है। विशेषज्ञों का कहना है कि मंदी की भविष्यवाणी करना मुश्किल है और अक्सर यह अनिश्चितता के कारण ही चर्चा में रहता है।