Edited By jyoti choudhary,Updated: 06 Aug, 2024 12:15 PM
सोमवार को कच्चे तेल की कीमतें आठ महीने के निचले स्तर पर पहुंच गईं। दुनिया के सबसे बड़े तेल कंज्यूमर अमेरिका में मंदी की आशंकाओं के साथ-साथ यह चिंता भी थी कि मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव से सबसे बड़े तेल उत्पादक क्षेत्र से सप्लाई प्रभावित हो सकती है। इस...
बिजनेस ड़ेस्कः सोमवार को कच्चे तेल की कीमतें आठ महीने के निचले स्तर पर पहुंच गईं। दुनिया के सबसे बड़े तेल कंज्यूमर अमेरिका में मंदी की आशंकाओं के साथ-साथ यह चिंता भी थी कि मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव से सबसे बड़े तेल उत्पादक क्षेत्र से सप्लाई प्रभावित हो सकती है। इस बीच Brent crude futures 0035 GMT तक 4 सेंट या 0.1% की मामूली गिरावट के साथ 76.77 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया, जबकि US वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड वायदा 13 सेंट या 0.2% की गिरावट के साथ 73.39 डॉलर प्रति बैरल पर था।
क्यों गिरा ब्रेंट क्रूड?
ब्रेंट क्रूड की कीमतों में गिरावट की प्रमुख वजह US में खराब जॉब डेटा और मंदी की आशंका है। इससे मांग घटने का डर है। जुलाई में अमेरिकी बेरोजगारी दर 4.3% रही, जो कि 3 साल की सबसे ऊंची दर थी। अमेरिका में मंदी आई तो ये पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले सकता है।
पिछले शुक्रवार यानी, 2 अगस्त को US बाजारों में भारी गिरावट देखने को मिली थी। S&P 500 में 1.5%, Nasdaq 100 में 2.1% की गिरावट हुई थी। वहीं अमेजॉन के शेयर में 10% की बड़ी गिरावट देखने को मिली थी। कमजोर रोजगार आंकड़ों से US फेड के ब्याज दरों में कटौती नहीं करने की चिंता में बाजार टूटे थे।
अमेरिका में लगातार चौथे महीने बेरोजगारी दर बढ़ी है। वहीं दूसरी तरफ, नई नौकरियां भी उम्मीद से कम पैदा हुई हैं जिसका प्रभाव ब्रेंट क्रूड की कीमतों में देखने को मिला है। इतना ही नहीं जापान ने ब्याज दरों में 0.25% बढ़ाेतरी कर आग में घी डालने का काम किया है जिससे सेंटीमेंट्स बुरी तरह हिल चुके हैं। ब्रेंट क्रूड में कीमतों में गिरावट की एक प्रमुख वजह ये भी रही है।
मिडिल ईस्ट में बढ़े तनाव से भी दबाव बना
इजरायल और हमास के बीच संघर्ष के चलते मिडिल-ईस्ट में तनाव बढ़ा हुआ है, इसी बीच हमास चीफ की मौत के बाद तनाव अलग लेवल पर पहुंच गया है। इसका मार्केट पर बुरा असर पड़ा है। क्रूड 8 महीने के निचले स्तर पर चला गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ईरान ने खुले तौर पर इजरायल के खिलाफ हमले का ऐलान कर दिया है। ऐसे में जियो-पॉलिटिकल रिस्क बढ़ने से भी माहौल काफी बिगड़ा हुआ है।