Crude Oil Price: 70 डॉलर प्रति बैरल के नीचे फिसला कच्चा तेल, नौ महीने में सबसे निचला स्तर

Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 Sep, 2024 05:21 PM

crude oil slips below 70 a barrel lowest level in nine months

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतों में गिरावट आई है, जिससे भारत को बड़ी राहत मिली है। कच्चे तेल की कीमत घटकर 70 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आ गई है, जो दिसंबर 2023 के बाद से नौ महीने में सबसे निचला स्तर है। डब्ल्युटीआई क्रूड (WTI...

बिजनेस डेस्कः अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतों में गिरावट आई है, जिससे भारत को बड़ी राहत मिली है। कच्चे तेल की कीमत घटकर 70 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आ गई है, जो दिसंबर 2023 के बाद से नौ महीने में सबसे निचला स्तर है। डब्ल्युटीआई क्रूड (WTI Crude) 69.68 डॉलर प्रति बैरल पर और ब्रेंट क्रूड ऑयल (Brent Crude Oil) 73 डॉलर प्रति बैरल के करीब ट्रेड कर रहा है। भारत अपनी जरूरत का 80 प्रतिशत से ज्यादा कच्चा तेल आयात करता है, इसलिए कीमतों में यह गिरावट देश के लिए आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है।

क्यों गिरे कच्चे तेल के दाम? 

कच्चे तेल की कीमतों में आई इस गिरावट का मुख्य कारण इसकी मांग में संभावित कमी की आशंका है। विशेष रूप से चीन की आर्थिक सुस्ती के कारण मांग में गिरावट की संभावना जताई जा रही है। इसके साथ ही लीबिया से कच्चे तेल के निर्यात के शुरू होने की उम्मीदें भी कीमतों में इस गिरावट का एक बड़ा कारण हैं।

लीबिया में विरोधी सरकारों के बीच विवाद के चलते ऑयल फील्ड्स और निर्यात टर्मिनलों को बंद कर दिया गया था। लेकिन अब, लीबिया के सेंट्रल बैंक के गवर्नर की नियुक्ति को लेकर हुए समझौते के बाद इस विवाद के सुलझने और सप्लाई के फिर से शुरू होने की संभावना है।

इसके अलावा, यह भी माना जा रहा है कि ओपेक देश कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती के फैसले पर पुनर्विचार कर सकते हैं। इन सभी कारणों से इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की सप्लाई बढ़ने की उम्मीद है, जिससे कीमतों में गिरावट आई है।

65 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकता कच्चा तेल

विशेषज्ञों का मानना है कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट जारी रह सकती है। कुछ का कहना है कि खाड़ी देशों का तेल 65 डॉलर प्रति बैरल तक नीचे आ सकता है। जबकि अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि यदि ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम 70 डॉलर से नीचे आते हैं, तो ओपेक उत्पादन बढ़ाने का निर्णय टाल सकते हैं, जिससे कच्चे तेल की कीमतें फिर से ऊपर जा सकती हैं।

दूसरी ओर, फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में कटौती भी कच्चे तेल की कीमतों को समर्थन दे सकती है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या पेट्रोल और डीजल के दाम कम होंगे? विशेषज्ञों के अनुसार, अगर कच्चे तेल की कीमतें 65 डॉलर तक आ जाती हैं तो पेट्रोल-डीजल की कीमत में गिरावट देखने को मिल सकती है। 

सरकारी तेल कंपनियों की बल्ले-बल्ले!

कच्चे तेल के दामों में आई बड़ी गिरावट से सरकारी तेल कंपनियों को जोरदार फायदा होगा। उन्हें सस्ते में क्रूड ऑयल मिलेगा लेकिन उपभोक्ताओं को इसका फायदा मिलेगा या नहीं ये बड़ा सवाल है। अगस्त 2024 में सरकारी तेल कंपनियों को पेट्रोल बेचने पर 9.3 रुपए प्रति लीटर और डीजल बेचने पर 7.6 रुपए प्रति लीटर का मुनाफा हो रहा था जिसके अब बढ़कर 14 रुपए और 13 रुपए प्रति लीटर तक बढ़कर होने के आसार हैं। ऐसे में मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही जुलाई से सितंबर के बीच सरकारी तेल कंपनियों को जोरदार मुनाफा होने की उम्मीद है लेकिन उपभोक्ताओं के हाथ कुछ लगेगा ये कहना कठिन है।

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