Edited By jyoti choudhary,Updated: 19 Apr, 2025 02:50 PM
भारत की डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) प्रणाली ने बीते एक दशक में देश की कल्याणकारी योजनाओं को पूरी तरह बदलकर रख दिया है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, DBT ने ₹3.48 लाख करोड़ की बचत की है और सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और दक्षता का वैश्विक मानक...
नई दिल्लीः भारत की डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) प्रणाली ने बीते एक दशक में देश की कल्याणकारी योजनाओं को पूरी तरह बदलकर रख दिया है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, DBT ने ₹3.48 लाख करोड़ की बचत की है और सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और दक्षता का वैश्विक मानक स्थापित किया है।
घोस्ट लाभार्थी हटे, सही लोगों तक पहुंची मदद
2013 में शुरू हुई DBT प्रणाली ने आधार से जुड़े प्रमाणीकरण और तकनीक के माध्यम से घोस्ट यानी फर्जी लाभार्थियों को सिस्टम से हटाकर यह सुनिश्चित किया है कि सब्सिडी उन्हीं तक पहुंचे जिन्हें वास्तव में इसकी जरूरत है।
सब्सिडी में कटौती, फिर भी दायरा बढ़ा
रिपोर्ट में बताया गया है कि 2009-10 में जहां कुल कल्याण बजट ₹2.1 लाख करोड़ था, वह 2023-24 तक बढ़कर ₹8.5 लाख करोड़ हो गया। इसके बावजूद सब्सिडी के लिए आवंटन का प्रतिशत 16% से घटकर 9% हो गया। इससे न केवल वित्तीय अनुशासन बना, बल्कि लाभार्थियों की संख्या भी 11 करोड़ से बढ़कर 176 करोड़ हो गई।
खाद्य सब्सिडी में सबसे बड़ी बचत
DBT के कारण हुई कुल बचत में से लगभग ₹1.85 लाख करोड़ (53%) सिर्फ खाद्य सब्सिडी से आई है। वहीं, मनरेगा (MGNREGS) में 98% समय पर मजदूरी भुगतान और पीएम-किसान (PM-KISAN) में ₹22,106 करोड़ की बचत दर्ज की गई है।
कल्याण दक्षता सूचकांक (WEI) में उछाल
रिपोर्ट में एक नया Welfare Efficiency Index (WEI) पेश किया गया है, जो 2014 में 0.32 था और 2023 में बढ़कर 0.91 हो गया। यह कल्याण योजनाओं की दक्षता में आए सुधार को दर्शाता है।
आगे की राह: तकनीक से सबको जोड़ना जरूरी
हालांकि DBT ने सिस्टम में बड़ी क्रांति लाई है, लेकिन रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अभी भी कुछ चुनौतियां मौजूद हैं, जैसे ग्रामीण डिजिटल अंतर, अपात्रता की गलतियां और धोखाधड़ी के बदलते तरीके। भविष्य में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित धोखाधड़ी जांच, अंतिम मील बैंकिंग और मजबूत शिकायत निवारण तंत्र पर ध्यान देना होगा।
विकसित भारत 2047 के लिए नींव तैयार
DBT की सफलता से भारत अब अपने "विकसित भारत 2047" के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। DBT के माध्यम से जो बचत हो रही है, उसका उपयोग अब आयुष्मान भारत (स्वास्थ्य), पीएम-किसान (कृषि) और मनरेगा (रोज़गार) जैसे कार्यक्रमों में हो रहा है।