Edited By jyoti choudhary,Updated: 27 Dec, 2024 04:16 PM
रुपए की गिरावट का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। शुक्रवार को रुपया डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर 85.81 रुपए पर पहुंच गया, जो पिछले दो साल में सबसे बड़ी गिरावट है। गुरुवार को बाजार बंद होते समय यह 85.27 रुपए प्रति डॉलर पर था। 19...
बिजनेस डेस्कः रुपए की गिरावट का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। शुक्रवार को रुपया डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर 85.81 रुपए पर पहुंच गया, जो पिछले दो साल में सबसे बड़ी गिरावट है। गुरुवार को बाजार बंद होते समय यह 85.27 रुपए प्रति डॉलर पर था। 19 दिसंबर को रुपया पहली बार 85 रुपए का स्तर पार कर गया था। डॉलर के मुकाबले रुपए की यह लगातार सातवीं सालाना गिरावट है। इस महीने रुपए ने दो साल की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की है।
रुपए के गिरने का क्या है मतलब
सबसे पहली बात तो रुपया का टूटना अर्थव्यवस्था के कमजोर होने का संकेत है। विदेशी पूंजी की अधिक निकासी के कारण यह स्थिति बनी है। रुपए के कमजोर होने के कारण भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी खाली हो रहा है। जानकारों के मुताबिक साल और महीना दोनों का अंतिम वक्त होने के कारण भुगतान के लिए आयातकों द्वारा डॉलर की जबर्दस्त मांग बढ़ी है। इस कारण बढ़ती मांग से डॉलर मजबूत होता जा रहा है। दूसरी ओर, स्थानीय मुद्रा पर दबाव बढ़ रहा है। रुपए के अधिक गिरने का यह भी एक बड़ा कारण है। फिर भी कच्चे तेल की कीमतों में नरमी और घरेलू बाजारों में सुधार का रुख रुपया को थोड़ा संभाले हुए हैं।
86 रुपए से भी नीचे गिरने के आसार
डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत 86 से भी नीचे जाने के आसार हैं। मार्च के अंत तक इस स्तर तक गिरने की आशंका जताई जा रही है। इस साल अभी तक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया तीन फीसदी कमजोर हो चुका है। शुक्रवार को बाजार खुलने के साथ ही 85.35 रुपए प्रति डॉलर के मुकाबले ऑल टाइम लो पर पहुंच गया। इसके बाद भी रुपए के लुढ़कने का सिलसिला लगातार जारी रहा।