Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Dec, 2024 12:34 PM
वाणिज्य मंत्रालय ने घरेलू उत्पादकों को संरक्षण देने के उद्देश्य से चीन समेत छह देशों से आयात होने वाले पीवीसी पेस्ट रेजिन पर पांच साल तक डंपिंग रोधी शुल्क लगाने की सिफारिश की है। यह शुल्क कृत्रिम चमड़ा और तकनीकी वस्त्र उत्पाद बनाने में इस्तेमाल होने...
नई दिल्लीः वाणिज्य मंत्रालय ने घरेलू उत्पादकों को संरक्षण देने के उद्देश्य से चीन समेत छह देशों से आयात होने वाले पीवीसी पेस्ट रेजिन पर पांच साल तक डंपिंग रोधी शुल्क लगाने की सिफारिश की है। यह शुल्क कृत्रिम चमड़ा और तकनीकी वस्त्र उत्पाद बनाने में इस्तेमाल होने वाले पीवीसी पेस्ट रेजिन के आयात पर लागू होगा। मंत्रालय की व्यापार उपचार इकाई (DGTR) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि छह देशों - चीन, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, नॉर्वे, ताइवान और थाइलैंड की कंपनियों ने भारत को कम कीमत पर ‘पॉली विनाइल क्लोराइड पेस्ट रेजिन’ निर्यात किया, जिसके कारण भारतीय बाजार में डंपिंग हुई है।
डीजीटीआर ने इस स्थिति के कारण घरेलू उद्योग को नुकसान होने की बात कही और डंपिंग रोधी शुल्क की सिफारिश की। शुल्क की सीमा 89 डॉलर प्रति टन से लेकर 707 डॉलर प्रति टन तक हो सकती है। इस कदम का उद्देश्य भारतीय उत्पादकों को विदेशी उत्पादकों से हो रहे अनुचित प्रतिस्पर्धा से बचाना है।
इस प्रक्रिया की शुरुआत केमप्लास्ट सनमार लिमिटेड द्वारा किए गए आवेदन से हुई थी, जिसके बाद डीजीटीआर ने डंपिंग रोधी जांच शुरू की। डंपिंग-रोधी शुल्क डब्ल्यूटीओ के तहत लागू किए जाते हैं, ताकि व्यापारिक दृष्टिकोण से निष्पक्षता बनी रहे और घरेलू तथा विदेशी उद्योगों को समान अवसर मिले। भारत ने पहले भी सस्ते आयात से निपटने के लिए कई उत्पादों पर डंपिंग-रोधी शुल्क लगाए हैं।