Edited By jyoti choudhary,Updated: 16 Apr, 2025 04:59 PM
आज के समय में क्रेडिट कार्ड का चलन तेज़ी से बढ़ रहा है। खरीदारी से लेकर बिल भुगतान तक, लोग क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल इसलिए करना पसंद कर रहे हैं क्योंकि इससे डिस्काउंट ऑफर, कैशबैक और रिवॉर्ड पॉइंट्स जैसे कई फायदे मिलते हैं। हालांकि, यह समझना ज़रूरी...
बिजनेस डेस्कः आज के समय में क्रेडिट कार्ड का चलन तेज़ी से बढ़ रहा है। खरीदारी से लेकर बिल भुगतान तक, लोग क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल इसलिए करना पसंद कर रहे हैं क्योंकि इससे डिस्काउंट ऑफर, कैशबैक और रिवॉर्ड पॉइंट्स जैसे कई फायदे मिलते हैं। हालांकि, यह समझना ज़रूरी है कि क्रेडिट कार्ड मूल रूप से एक कर्ज ही है और इसके सही उपयोग न करने पर यह भारी आर्थिक बोझ भी बन सकता है।
क्या मिनिमम बिल पेमेंट करना सही है?
क्रेडिट कार्ड से खर्च करने के बाद हर महीने एक बिल बनता है, जिसे तय समय पर चुकाना होता है। कई लोग पूरा बिल भरने के बजाय सिर्फ "मिनिमम अमाउंट ड्यू" भरते हैं, जो आमतौर पर कुल बकाया राशि का लगभग 5% होता है।
मिनिमम ड्यू समय पर भरने से लेट पेमेंट चार्ज से तो बचा जा सकता है लेकिन यह विकल्प तभी सही माना जा सकता है जब आपके पास फिलहाल पूरी राशि चुकाने के लिए पैसे न हों।
मिनिमम पेमेंट के नुकसान
हालांकि यह विकल्प आपको पेनल्टी से तो बचाता है लेकिन इसके साथ कई वित्तीय जोखिम भी जुड़े हैं:
ब्याज का बोझ: बची हुई बकाया राशि पर हर महीने 3%-4% तक ब्याज लगता है, जो सालाना 30% से 48% तक हो सकता है। यह ब्याज उसी दिन से लगना शुरू हो जाता है जिस दिन आपने खरीदारी की थी।
क्रेडिट स्कोर पर असर: बार-बार सिर्फ मिनिमम पेमेंट करने से आपका क्रेडिट स्कोर कमजोर हो सकता है, जिससे भविष्य में लोन या क्रेडिट लिमिट बढ़वाने में परेशानी आ सकती है।
इंटरेस्ट-फ्री पीरियड खत्म: जब तक आप पूरा बकाया नहीं चुकाते, तब तक आपको नए खर्चों पर मिलने वाला इंटरेस्ट-फ्री पीरियड नहीं मिलेगा।
कर्ज का जाल: सिर्फ मिनिमम पेमेंट करने की आदत धीरे-धीरे आपको कर्ज के गहरे जाल में फंसा सकती है, जहां केवल ब्याज ही चुकाना भारी पड़ सकता है।