Edited By jyoti choudhary,Updated: 22 Aug, 2024 04:18 PM
जुलाई में माल की आवाजाही के लिए व्यापारियों द्वारा बनाए गए ई-वे बिल की संख्या 104.86 मिलियन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। यह मार्च में दर्ज किए गए 103.55 मिलियन के पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया है, जिससे संकेत मिलता है कि अगस्त में वस्तु एवं सेवा कर...
नई दिल्लीः जुलाई में माल की आवाजाही के लिए व्यापारियों द्वारा बनाए गए ई-वे बिल की संख्या 104.86 मिलियन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। यह मार्च में दर्ज किए गए 103.55 मिलियन के पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया है, जिससे संकेत मिलता है कि अगस्त में वस्तु एवं सेवा कर (GST) संग्रह मजबूत रह सकता है। सालाना आधार पर जुलाई में ई-वे बिल की संख्या में 19.2% की वृद्धि हुई, जबकि जून में यह वृद्धि 16.3% थी। विशेषज्ञों के अनुसार, ई-वे बिल की इस बढ़ोतरी से अर्थव्यवस्था में सक्रियता और खपत में सुधार का संकेत मिलता है।
ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन (AITWA) के सचिव अभिषेक गुप्ता ने कहा, "बजट से जुड़ी चिंताओं के बावजूद, जुलाई में ई-वे बिलों में मामूली वृद्धि हुई है, जो देश में माल की भौतिक आवाजाही के जरिए बढ़ती आर्थिक गतिविधियों को दर्शाता है।"
इस बढ़ोतरी के साथ, अर्थव्यवस्था में सुधार और राजकोषीय स्थिरता की उम्मीदें बढ़ रही हैं। AKM ग्लोबल के पार्टनर-टैक्स संदीप सेहगल ने कहा, "अगर यह रुझान जारी रहता है, तो यह दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता और विकास को बढ़ावा देगा, जिससे भारत की आर्थिक स्थिति में विश्वास और मजबूत होगा।"
ई-वे बिल एक इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़ है जो माल की आवाजाही और कर भुगतान की पुष्टि करता है। CGST नियम, 2017 के तहत, अगर किसी खेप का मूल्य 50,000 रुपये से अधिक होता है, तो ई-वे बिल बनाना अनिवार्य है। ई-वे बिलों में वृद्धि, बेहतर अनुपालन और कड़ी चोरी-रोधी उपायों का संकेत भी देती है। एक कर विशेषज्ञ के अनुसार, वाहन की जब्ती और दंड के डर से अब व्यवसाय न्यूनतम मूल्य की खेप के लिए भी ई-वे बिल बना रहे हैं।
संदीप सेहगल ने कहा कि यह वृद्धि उत्पादन और वितरण में तेजी का प्रतीक है। हालांकि, उन्होंने इस डेटा का मूल्यांकन अन्य आर्थिक संकेतकों के साथ मिलाकर करने का सुझाव दिया।