Edited By jyoti choudhary,Updated: 28 Dec, 2024 01:47 PM
अगर सरकार स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के निर्माण में उपयोग होने वाले पार्ट्स पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाती है, तो घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में तेजी से वृद्धि हो सकती है। यूनियन बजट 2025 से पहले, इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों ने इस मुद्दे को...
बिजनेस डेस्कः अगर सरकार स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के निर्माण में उपयोग होने वाले पार्ट्स पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाती है, तो घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में तेजी से वृद्धि हो सकती है। यूनियन बजट 2025 से पहले, इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों ने इस मुद्दे को सरकार के समक्ष रखा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात के दौरान, प्रतिनिधियों ने इंडक्टर कॉयल्स, माइक और प्रिंटेड सर्किट बोर्ड जैसे पार्ट्स पर इंपोर्ट ड्यूटी कम करने की मांग की। इन महत्वपूर्ण पार्ट्स का भारत में उत्पादन नहीं होता है, जिससे कंपनियों को इन्हें आयात करना पड़ता है। इसका सीधा असर उत्पादों की खुदरा कीमतों और प्रतिस्पर्धात्मकता पर पड़ता है।
पार्ट्स पर ड्यूटी घटाने से प्रोडक्ट्स की कीमतें कम होंगी
इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री (Electronics Industry) के प्रतिनिधियों ने 26 दिसंबर को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) से मुलाकात की थी। इंडस्ट्री से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि इलेक्ट्रॉन्क्स प्रोडक्ट्स के उत्पादन में चीन की स्थिति बहुत मजबूत है। इंडिया चीन को टक्कर देने की कोशिश कर रहा है लेकिन इसके लिए सरकार की मदद जरूरी है। चीन की सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल में होने वाले पार्ट्स के इंपोर्ट पर ड्यूटी से छूट दी है। इसलिए चीन में उत्पादित प्रोडक्ट्स की कीमतें कम रहती हैं।
चीन के मुकाबले इंडिया में ज्यादा इंपोर्ट ड्यूटी
इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री ने प्रोडक्ट्स की टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन पर सब्सिडी की भी मांग की है। इंडस्ट्री का कहना है कि इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों टैक्स में छूट की अवधि में बढ़ाई जानी चाहिए। अभी स्मार्टफोन के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले माइक, रिसीवर, स्पीकर और फ्लेक्सिबल प्रिंटेड सर्किट पर 15 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी है। इंडस्ट्री का कहना है कि इसे घटाकर 10 फीसदी किया जाना चाहिए। अभी इंडिया में मोबाइल फोन में इस्तेमाल होने वाले पार्ट्स पर औसत टैरिफ 7 से 7.2 फीसदी के बीच है, जबकि चीन और वियतनाम में यह काफी कम है।
सरकार इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन का हब बनाना चाहती है
इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों ने मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स में मिल रही छूट को 31 मार्च, 2029 तक बढ़ाने की मांग की। इससे इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियां इंडिया में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने को प्रोत्साहित होंगी। इससे भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट्स के उत्पादन में अपनी स्थिति मजबूत बनाने में मदद मिली है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने देश में ही स्मार्टफोन का उत्पादन करने पर फोकस बढ़ाया है। इसके लिए कंपनियों के लिए की तरह की स्कीम शुरू की गई है। इससे एपल, शियोमी और सैमसंग जैसी बड़ी कंपनियों ने इंडिया में ही अपने प्रोडक्ट्स के उत्पादन पर फोकस बढ़ाया है।