निर्यात बढ़ाने के लिए नए भौगोलिक क्षेत्रों, सेवाओं पर जोरः आर्थिक समीक्षा

Edited By jyoti choudhary,Updated: 22 Jul, 2024 03:46 PM

emphasis on new geographical areas services to increase exports

भारतीय निर्यातक अपनी निर्यात खेप को बढ़ावा देने और भू-राजनीतिक तनाव से उपजी वैश्विक अनिश्चितताओं से निपटने के लिए अधिक भौगोलिक क्षेत्रों को जोड़ रहे हैं। वित्त वर्ष 2023-24 की आर्थिक समीक्षा में यह बात कही गई है। सोमवार को संसद में पेश आर्थिक...

बिजनेस डेस्कः भारतीय निर्यातक अपनी निर्यात खेप को बढ़ावा देने और भू-राजनीतिक तनाव से उपजी वैश्विक अनिश्चितताओं से निपटने के लिए अधिक भौगोलिक क्षेत्रों को जोड़ रहे हैं। वित्त वर्ष 2023-24 की आर्थिक समीक्षा में यह बात कही गई है। सोमवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा के मुताबिक, मौजूदा भू-राजनीतिक परिवेश में भारत को तमाम देशों के साथ अपने मजबूत व्यापार संबंधों की वजह से लाभ होने की उम्मीद है। भारत के एशिया, यूरोप और अमेरिका के साथ व्यापक और विविधतापूर्ण व्यापारिक संबंध हैं। 

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि बढ़ी हुई मुद्रास्फीति और मौजूदा भू-राजनीतिक प्रतिकूल स्थितियों के बीच देश का बाहरी क्षेत्र मजबूत बना हुआ है। समीक्षा कहती है, ‘‘भारत अपने कारोबार में अधिक निर्यात गंतव्यों को जोड़ रहा है जो निर्यात को क्षेत्रीय विविधता देने का संकेत देता है।'' सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए आर्थिक समीक्षा कहती है कि भारत के वस्तु निर्यात में शीर्ष 10 देशों की हिस्सेदारी घटी है। यह वित्त वर्ष 1999-2000 में 61.9 प्रतिशत के उच्चस्तर से गिरकर 2023-24 में 50.5 प्रतिशत हो गई। 

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सिंगापुर, हांगकांग और चीन जैसे एशियाई, अफ्रीकी और पश्चिम एशियाई देश पिछले 24 वर्षों में ब्रिटेन, जर्मनी और बेल्जियम जैसे पारंपरिक निर्यात भागीदारों की जगह प्रमुख गंतव्य बने हैं। आर्थिक समीक्षा के मुताबिक, भारत के कुल निर्यात में विकासशील क्षेत्रों यानी एशिया और अफ्रीका की संयुक्त रूप से हिस्सेदारी बढ़कर 2023-24 में 52 प्रतिशत हो गई जबकि 1999-2000 में यह लगभग 42.9 प्रतिशत थी। पिछले वित्त वर्ष में यूएई, सिंगापुर, चीन, रूस और ऑस्ट्रेलिया भारत के प्रमुख निर्यात भागीदार थे। कुल मिलाकर चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-जून में वस्तु निर्यात 5.84 प्रतिशत बढ़कर 109.96 अरब डॉलर हो गया जबकि आयात 7.6 प्रतिशत बढ़कर 172.23 अरब डॉलर हो गया। इस तरह अप्रैल-जून तिमाही में व्यापार घाटा पिछले वर्ष की समान अवधि के 56.16 अरब डॉलर की तुलना में बढ़कर 62.26 अरब डॉलर हो गया। 

वैश्विक वस्तु निर्यात में भारत की हिस्सेदारी वर्ष 2020 में 1.6 प्रतिशत थी जो बढ़कर 2022 में 1.8 प्रतिशत हो गई। इसी तरह वैश्विक सेवा निर्यात में भी इसकी हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2015-16 से 2019-20 के दौरान औसतन 3.3 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 4.3 प्रतिशत हो गई। वाणिज्य मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष में 800 अरब डॉलर मूल्य की वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात का लक्ष्य रखा है। वित्त वर्ष 2023-24 में यह 778 अरब डॉलर था। भारत 2001 में सेवा निर्यात में 24वें स्थान पर था लेकिन अब वह वैश्विक स्तर पर सातवां सबसे बड़ा सेवा निर्यातक देश है। 

दूरसंचार, कंप्यूटर और सूचना सेवाओं के निर्यात में भारत दुनिया में दूसरे स्थान, व्यक्तिगत, सांस्कृतिक और मनोरंजक सेवाओं के निर्यात में छठे स्थान, परिवहन सेवाओं के निर्यात में 10वें स्थान और यात्रा में 14वें स्थान पर है। आर्थिक समीक्षा कहती है कि वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत का अधिक एकीकरण भी निर्यात को बढ़ावा देने में मदद कर रहा है। भारत की बढ़ी हुई वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला भागीदारी का प्रमाण देश में इलेक्ट्रॉनिक्स, परिधान और खिलौने, वाहन और उनके कलपुर्जों, पूंजीगत वस्तुओं और सेमीकंडक्टर विनिर्माण में विदेशी फर्मों द्वारा बढ़ते निवेश में परिलक्षित होता है। 

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