Edited By jyoti choudhary,Updated: 11 Sep, 2024 11:57 AM
सामान्यत: क्रूड ऑयल की कीमतें गिरना भारत की अर्थव्यवस्था के शुभ संकेत माना जाता है लेकिन क्रूड ऑयल की कीमतों में हालिया गिरावट भारत के लिए चिंता का विषय बन सकती है क्योंकि यह गिरावट वैश्विक मंदी (Global Recession) की ओर इशारा करती है।
बिजनेस डेस्कः सामान्यत: क्रूड ऑयल की कीमतें गिरना भारत की अर्थव्यवस्था के शुभ संकेत माना जाता है लेकिन क्रूड ऑयल की कीमतों में हालिया गिरावट भारत के लिए चिंता का विषय बन सकती है क्योंकि यह गिरावट वैश्विक मंदी (Global Recession) की ओर इशारा करती है।
ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टेनली ने कहा है कि हालांकि कम होते ऑयल दाम भारत की अर्थव्यवस्था, कमाई और शेयरों के लिए लाभकारी लग सकते हैं लेकिन इसके प्रभाव की वास्तविकता इस बात पर निर्भर करती है कि गिरावट की वजह और अवधि क्या है।
मॉर्गन स्टेनली के रणनीतिकार रिद्धम देसाई ने एक क्लाइंट नोट में कहा, "हमें लगता है कि हालिया ऑयल मार्केट की नकारात्मकता मुख्यतः धीमी होती मांग के बारे में बढ़ती चिंताओं के कारण है। इस प्रकार इसका भारत के व्यापार के शर्तों पर सकारात्मक प्रभाव काफी हद तक कम हो गया है।"
पिछले दो हफ्तों में क्रूड ऑयल की कीमतें 10% से अधिक गिर चुकी हैं जिससे चिंता जताई जा रही है कि अमेरिका और चीन में संभावित आर्थिक मंदी के कारण मांग प्रभावित हो सकती है। मंगलवार को ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स की कीमत लगभग 69.06 डॉलर प्रति बैरल थी और विश्लेषक आने वाले दिनों में कीमतों के नीचे जाने का पूर्वानुमान कर रहे हैं। 2021 की शुरुआत में क्रूड की कीमतें 90 डॉलर प्रति बैरल थी।
भारत के लिए क्रूड की कीमतों में गिरावट एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखी जाती है क्योंकि देश अपनी कच्चे तेल की आवश्यकताओं का 80% से अधिक आयात करता है।