Edited By jyoti choudhary,Updated: 27 Aug, 2024 12:14 PM
पिछले कुछ सालों में विमानन क्षेत्र में यात्रा की मांग तो बढ़ी है, लेकिन प्रतिस्पर्धा कम होने से हवाई किरायों में भी तेजी आई है। 2019 में 55.2% हवाई मार्ग ऐसे थे, जहां सिर्फ एक ही कंपनी की उड़ानें संचालित हो रही थीं लेकिन अप्रैल 2024 तक यह आंकड़ा...
बिजनेस डेस्कः पिछले कुछ सालों में विमानन क्षेत्र में यात्रा की मांग तो बढ़ी है, लेकिन प्रतिस्पर्धा कम होने से हवाई किरायों में भी तेजी आई है। 2019 में 55.2% हवाई मार्ग ऐसे थे, जहां सिर्फ एक ही कंपनी की उड़ानें संचालित हो रही थीं लेकिन अप्रैल 2024 तक यह आंकड़ा बढ़कर 69.2% हो गया। इसका मतलब है कि इस साल अप्रैल तक केवल 30.8% मार्गों पर ही दो या दो से अधिक विमानन कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा थी।
विमानन कंपनियों ने प्रतिस्पर्धा घटने के साथ किरायों में भी इजाफा किया है, खासकर कोविड-19 महामारी के बाद। दिल्ली-मुंबई मार्ग पर, जहां 2019 से 2023 के बीच औसत हवाई किराया 20.5% गिरा था, वहीं पिछले साल इसमें 34.6% की वृद्धि हुई। इसी तरह, दिल्ली-बेंगलूरु मार्ग के इकॉनमी क्लास का औसत किराया एक साल में 53.1% बढ़ गया।
इस बदलाव का एक कारण 2019 में जेट एयरवेज और 2023 में Go First का दिवालिया होना है। इसके अलावा, SpiceJet भी अपने विमानों की संख्या कम कर रही है। नतीजतन, Indigo और Air India समूह का हवाई बाजार पर नियंत्रण बढ़ गया है, जो जुलाई 2024 तक घरेलू हवाई यात्रा बाजार का 90% हिस्सा नियंत्रित कर रहे थे।
कई मार्गों पर कम प्रतिस्पर्धा होने के कारण, विमानन कंपनियां अब किरायों को बढ़ाने पर ध्यान दे रही हैं। सिरियम के आंकड़ों के अनुसार, 2019 में इंडिगो के लिए 491 घरेलू मार्गों में से 33.4% पर कोई प्रतिस्पर्धा नहीं थी लेकिन अप्रैल 2024 में 838 घरेलू मार्गों में से 61.2% पर कोई प्रतिस्पर्धा नहीं थी।
विमानन विशेषज्ञ अमेय जोशी का कहना है कि भारत में हवाई कनेक्टिविटी तेजी से बढ़ी है, लेकिन इसके साथ ही एकाधिकार वाले मार्ग भी बढ़ गए हैं। इंडिगो के प्रवर्तक राहुल भाटिया का मानना है कि भारत में दो से अधिक विमानन कंपनियां होनी चाहिए ताकि प्रतिस्पर्धा बढ़े और यात्रियों को बेहतर सेवाएं मिल सकें।