Edited By jyoti choudhary,Updated: 27 Jun, 2024 05:33 PM
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली मजबूत एवं जुझारू बनी हुई है क्योंकि सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (GNPA) अनुपात मार्च 2024 के अंत में कई साल के निचले स्तर 2.8 फीसदी पर आ गया है। RBI...
मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली मजबूत एवं जुझारू बनी हुई है क्योंकि सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (GNPA) अनुपात मार्च 2024 के अंत में कई साल के निचले स्तर 2.8 फीसदी पर आ गया है। RBI ने गुरुवार को जून की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) जारी करते हुए कहा कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का GNPA अनुपात कई वर्षों के निचले स्तर 2.8 फीसदी पर आ गया, जबकि शुद्ध गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NNPA) अनुपात मार्च, 2024 के अंत में 0.6 फीसदी रहा।
बैलेंसशीट में सुधार आया है
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली मजबूत एवं जुझारू बनी हुई है, जो वृहद-आर्थिक और वित्तीय स्थिरता से समर्थित है। सुधरे हुए बहीखाते के साथ बैंक एवं वित्तीय संस्थान निरंतर ऋण विस्तार के जरिये आर्थिक गतिविधि का समर्थन कर रहे हैं।’’ रिपोर्ट कहती है कि मार्च के अंत में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCB) का पूंजी और जोखिम-भारित संपत्ति का अनुपात (CRAR) और समान इक्विटी टियर 1 (सीईटी 1) अनुपात क्रमशः 16.8 फीसदी और 13.9 फीसदी रहा।
कमर्शियल बैंक मजबूत स्थिति में
एफएसआर रिपोर्ट के मुताबिक, ऋण जोखिम के लिए व्यापक तनाव संबंधी परीक्षणों से पता चलता है कि वाणिज्यिक बैंक न्यूनतम पूंजी जरूरतों का अनुपालन करने में सक्षम होंगे। वित्त वर्ष के अंत में प्रणालीगत सीआरएआर बेसलाइन, मध्यम और गंभीर तनाव परिदृश्यों के तहत क्रमशः 16.1 फीसदी, 14.4 फीसदी और 13.0 फीसदी होने का अनुमान है। रिपोर्ट कहती है कि ये परिदृश्य काल्पनिक झटकों के तहत किए गए कठोर रुढ़िवादी आकलन हैं और परिणामों की व्याख्या पूर्वानुमान के तौर पर नहीं की जानी चाहिए।
NBFC की वित्तीय सेहत दुरुस्त
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट कहती है कि मार्च, 2024 के अंत में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) की सेहत स्वस्थ बनी हुई थी। उनका सीआरएआर 26.6 फीसदी, GNPA अनुपात 4.0 फीसदी और परिसंपत्तियों पर रिटर्न (आरओए) 3.3 फीसदी पर था। वैश्विक अर्थव्यवस्था के संदर्भ में रिपोर्ट कहती है कि यह लंबे समय से चल रहे भू-राजनीतिक तनाव, बढ़े हुए सार्वजनिक ऋण और महंगाई में गिरावट की धीमी रफ्तार से बढ़े हुए जोखिमों का सामना कर रही है। हालांकि, एफएसआर रिपोर्ट कहती है कि इन चुनौतियों के बावजूद वैश्विक वित्तीय प्रणाली जुझारू बनी हुई है और वित्तीय स्थितियां स्थिर हैं।