Edited By jyoti choudhary,Updated: 25 Jun, 2024 06:14 PM
उपभोग को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसर उत्पन्न करने वाली सरकारी पहल के दम पर 2024 में रोजमर्रा के उपभोग के सामान (एफएमसीजी) क्षेत्र की वृद्धि दर सात से नौ प्रतिशत रहने की उम्मीद है। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। एफएमसीजी क्षेत्र की जुझारू क्षमता...
बिजनेस डेस्कः उपभोग को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसर उत्पन्न करने वाली सरकारी पहल के दम पर 2024 में रोजमर्रा के उपभोग के सामान (एफएमसीजी) क्षेत्र की वृद्धि दर सात से नौ प्रतिशत रहने की उम्मीद है। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। एफएमसीजी क्षेत्र की जुझारू क्षमता व अनुकूलनशीलता मजबूत सरकारी समर्थन तथा डिजिटल बदलाव पहल के साथ मिलकर इसे अनिश्चितताओं से पार पाने और अधिक मजबूत होकर उभरने की अनुकूल स्थिति प्रदान करती है।
आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस की एक रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘भविष्य की ओर देखें तो भारत में एफएमसीजी क्षेत्र निरंतर वृद्धि के लिए तैयार है। पूर्वानुमानों के अनुसार, 2024 में इसमें सात से नौ प्रतिशत की वृद्धि होगी।'' हालांकि, इस क्षेत्र को ‘‘मुद्रास्फीति के दबाव, उपभोक्ता भरोसे में कमी तथा मौजूदा बेरोजगारी दर'' जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘अब एफएफसीजी उद्योग का बढ़ता हुआ आर्थिक प्रभाव 9.1 लाख करोड़ रुपए से अधिक है। भारत की आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है।''
इसके अलावा, एफएफसीजी के लिए ऑनलाइन बिक्री माध्यम भी बढ़ रहे हैं....डी2सी (डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर) जैसे खंड ‘‘तेजी से हो रहे डिजिटल बदलाव और विकसित होते उपभोक्ता खरीद व्यवहार'' को दर्शाते हैं। ‘कॉरपोरेट इंडिया रिस्क इंडेक्स' 2023 रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘इस तरह के डिजिटलीकरण के रुझान ने बाजार में आ रहे बदलाव के प्रति उद्योग की खुद को ढालने की क्षमता तथा डिजिटल रूप से जानकार उपभोक्ताओं की जरूरतों को पूरा करने के प्रति इसके सक्रिय दृष्टिकोण को रेखांकित किया है।''
वैश्विक महामारी के बाद एफएमसीजी उद्योग संघर्ष कर रहा था और ग्रामीण क्षेत्र में कुछ तिमाहियों से लगातार गिरावट आ रही थी। हालांकि, उद्योग ने उभरते उपभोक्ता रुझानों के बीच जुझारू क्षमता दिखाई है और 2023 की दूसरी छमाही में मात्रा तथा मूल्य के हिसाब से उल्लेखनीय उछाल देखा गया है। इसमें कहा गया, ‘‘वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में देश भर में 8.6 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि देखी गई, जिसमें ग्रामीण बाजारों ने 6.4 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह अनुकूल उपभोग परिदृश्य का संकेत है।''