Edited By jyoti choudhary,Updated: 13 Nov, 2024 10:56 AM
चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए अरबों डॉलर के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है लेकिन इसका कोई खास प्रभाव देखने को नहीं मिल रहा है। 30 वर्षों में यह पहली बार है जब विदेशी निवेशक चीन से अपने पैसे निकाल रहे हैं। इस वित्तीय वर्ष की
बिजनेस डेस्कः चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए अरबों डॉलर के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है लेकिन इसका कोई खास प्रभाव देखने को नहीं मिल रहा है। 30 वर्षों में यह पहली बार है जब विदेशी निवेशक चीन से अपने पैसे निकाल रहे हैं। इस वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही के दौरान विदेशी निवेशकों ने चीन से 8.1 अरब डॉलर निकाले हैं। वर्ष 2023 में कुल मिलाकर 12.8 अरब डॉलर की निकासी हो चुकी है, जो 1998 के बाद सबसे बड़ी राशि है। अगर यही प्रवृत्ति जारी रही, तो चीन में 1990 के बाद पहली बार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का वार्षिक नेट आउटफ्लो देखने को मिल सकता है।
मंदी का सामना
चीन की अर्थव्यवस्था वर्तमान में 2008 के वित्तीय संकट के बाद की सबसे बड़ी मंदी का सामना कर रही है। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की संभावित राष्ट्रपति वापसी चीन के लिए संकट पैदा कर सकती है। ट्रंप ने चुनावी भाषणों में चीनी वस्तुओं पर 60% तक के आयात शुल्क लगाने का वादा किया था, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है। देश का डेट-टु-जीडीपी अनुपात पहली तिमाही में 366% पर पहुंच गया है, जो दर्शाता है कि देश की जीडीपी की एक यूनिट पर 3.66 यूनिट का कर्ज है।
जापान के अनुभव की छाया
ट्रंप के पहले कार्यकाल में चीनी सामान पर 25% तक आयात शुल्क लगाया गया था। जानकारों का कहना है कि यदि ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं, तो चीन की आर्थिक परेशानी बढ़ सकती है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पहले ही चीन की अर्थव्यवस्था के लिए अपने अनुमान को घटा दिया है। इस वर्ष चीन की अर्थव्यवस्था में 4.8% की वृद्धि का अनुमान है, जबकि सरकारी लक्ष्य 5% है। अगले वर्ष के लिए वृद्धि दर 4.5% रहने का अनुमान है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की अर्थव्यवस्था भी जापान की तरह ठहराव में फंस सकती है, जैसा कि 1990 के दशक में जापान के साथ हुआ था।
बेरोजगारी और मंदी का प्रभाव
करीब तीन दशकों से दुनिया की फैक्ट्री के रूप में काम कर रहे चीन को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में रियल एस्टेट संकट चल रहा है, जिसमें इस सेक्टर की अर्थव्यवस्था में लगभग एक तिहाई हिस्सेदारी है। इस संकट का प्रभाव बैंकिंग सेक्टर पर भी पड़ रहा है, जिससे पूरी अर्थव्यवस्था के डूबने का खतरा है। देश में बेरोजगारी चरम पर है, और मंदी की आशंका के चलते लोग खर्च करने में hesitant हैं। विश्लेषकों का मानना है कि चीन की अर्थव्यवस्था भी जापान की तरह धीमी हो सकती है।
निरंतर विकास की आवश्यकता
इस स्थिति से बचने के लिए, चीन को उपभोक्ता मांग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और निर्यात व निवेश केंद्रित विकास मोड से हटना होगा। इससे चीन में सतत विकास को बढ़ावा मिलेगा और देश बाहरी झटकों से अधिक सुरक्षित रह सकेगा।