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FIIs की भारतीय बाजार में संपत्ति घटी, लेकिन हिस्सेदारी पांच महीने के उच्च स्तर पर

Edited By jyoti choudhary,Updated: 06 Mar, 2025 12:47 PM

foreign investors  wealth in indian market decreased reached 13 month low

भारतीय शेयर बाजार में लगातार गिरावट और विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की भारी बिकवाली के चलते उनकी भारतीय बाजार में कुल संपत्ति (Assets Under Custody - AUC) फरवरी 2025 में 13 महीने के निचले स्तर पर आ गई। FIIs की कुल AUC फरवरी में घटकर 62.38 लाख...

बिजनेस डेस्कः भारतीय शेयर बाजार में लगातार गिरावट और विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की भारी बिकवाली के चलते उनकी भारतीय बाजार में कुल संपत्ति (Assets Under Custody - AUC) फरवरी 2025 में 13 महीने के निचले स्तर पर आ गई। FIIs की कुल AUC फरवरी में घटकर 62.38 लाख करोड़ रुपए रह गई, जो जनवरी 2024 के बाद का सबसे कम स्तर है। यह सितंबर 2024 में बने 77.96 लाख करोड़ रुपए के उच्चतम स्तर से 15.58 लाख करोड़ रुपए की भारी गिरावट को दर्शाता है।

हालांकि, भारी बिकवाली के बावजूद, फरवरी में FIIs की भारतीय शेयर बाजार में हिस्सेदारी बढ़कर 16.24% हो गई, जो पिछले पांच महीनों में सबसे ज्यादा है। जनवरी में यह आंकड़ा 15.98% था, जो आखिरी बार सितंबर 2024 में देखने को मिला था।

FIIs की बिकवाली जारी लेकिन दूसरी छमाही में थोड़ी राहत

भारतीय शेयर बाजार पर विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की भारी बिकवाली का दबाव बना हुआ है। जनवरी 2025 में FIIs ने 78,027 करोड़ रुपए के शेयर बेचे, जबकि फरवरी 2025 में यह आंकड़ा 34,574 करोड़ रुपए रहा।

बिकवाली का पैटर्न

  • 1 से 15 फरवरी: FIIs ने आक्रामक तरीके से 21,272 करोड़ रुपए के शेयर बेचे।
  • 16 से 28 फरवरी: बिकवाली की रफ्तार थोड़ी घटी लेकिन फिर भी 13,302 करोड़ रुपए की रही। यह निवेशकों के लिए कुछ राहत का संकेत है।

FIIs की बिकवाली के कारण

  • भारत में आर्थिक सुस्ती और कमजोर कॉरपोरेट नतीजे।
  • भारतीय शेयरों की उच्च वैल्यूएशन।
  • अमेरिका जैसे बाजारों में कम जोखिम पर बेहतर रिटर्न की संभावना, जिससे FIIs ने भारतीय बाजार से पैसा निकालकर वहां निवेश बढ़ाया।

प्रभाव और सेक्टोरल ट्रेंड

FIIs की भारी बिकवाली से घरेलू निवेशकों की खरीदारी भी फीकी पड़ गई, जिससे बाजार में दबाव बढ़ा।

  • आईटी और ऑटो सेक्टर को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ।
  • टेलीकॉम सेक्टर में FIIs का भरोसा बरकरार रहा।
  • फाइनेंशियल, FMCG और कैपिटल गुड्स सेक्टर में सबसे ज्यादा बिकवाली देखी गई।

हालांकि, फरवरी के अंत में बिकवाली की रफ्तार कुछ हद तक कम होने से बाजार में स्थिरता की उम्मीद बनी हुई है।
 

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