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भारतीय बाजार छोड़ भाग रहे हैं विदेशी निवेशक, जनवरी में अब तक निकाले 64,156 करोड़ रुपए

Edited By jyoti choudhary,Updated: 25 Jan, 2025 03:38 PM

foreign investors are running away from indian market

भारत के शेयर बाजार और गिरते रुपए के बीच विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से बड़ी मात्रा में पैसा निकालना शुरू कर दिया है। 20 से 24 जनवरी के बीच, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने 19,759 करोड़ रुपए के शेयरों की बिकवाली की है, जिससे बाजार में और...

बिजनेस डेस्कः भारत के शेयर बाजार और गिरते रुपए के बीच विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से बड़ी मात्रा में पैसा निकालना शुरू कर दिया है। 20 से 24 जनवरी के बीच, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने 19,759 करोड़ रुपए के शेयरों की बिकवाली की है, जिससे बाजार में और गिरावट आई है। एनएसडीएल के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी महीने में ही अब तक विदेशी निवेशकों ने 64,156 करोड़ रुपए भारतीय शेयर बाजार से निकाल लिए हैं। इसके बावजूद विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार से पैसा निकालने का सिलसिला थमता नहीं दिख रहा है और इस रुझान के जारी रहने की संभावना जताई जा रही है।

अमेरिकी अर्थव्यवस्था और ट्रंप की वापसी का प्रभाव?

भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की तेजी से हो रही बिकवाली को डोनाल्ड ट्रंप की वापसी और अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मजबूती से जोड़ा जा रहा है। ट्रंप के औसत अमेरिकी जीवनस्तर में सुधार के वादों ने अमेरिका को निवेशकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बना दिया है। अमेरिकी ट्रेजरी बांड पर ब्याज दरों में वृद्धि और यूएस डॉलर की मजबूती ने भी निवेशकों को अमेरिका की ओर खींचा है। इन कारणों से वैश्विक निवेशक भारत जैसे उभरते बाजारों से अपना पैसा निकालकर अमेरिका में निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं।

रुपए को दे रहा गहरा घाव

विदेशी निवेशकों के इस कदर पैसा निकालने के कारण शेयर बाजार तो गिर ही रहा है, रुपए को भी यह गहरा घाव देता जा रहा है। डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार चित होता चला जा रहा है। यह एक साइकिल की तरह बन गया है कि विदेशी निवेशकों की बिकवाली के कारण रुपया कमजोर हो रहा है और रुपया कमजोर होने के कारण विदेशी निवेशक पैसा निकाल रहे हैं।

क्योंकि रुपए के कमजोर होने के कारण हायर वैल्यूएशन और स्लो ग्रोथ विदेशी निवेशकों को भारतीय बाजार से वापसी के लिए विवश कर रहा है। इसने इंडियन इकोनॉमी के लिए बड़े पैमाने पर चिंता बढ़ा दी है। अगर ग्लोबल फैक्टर के कारण विदेशी निवेशकों का रुख इसी तरह बना रहा तो भारतीय निवेशक भी अमेरिकन इकोनॉमी या दूसरी बड़ी इकोनॉमी के विकास की ओर निवेश के लिए झांकने को मजबूर हो जाएंगे।


   

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