Edited By jyoti choudhary,Updated: 23 Jan, 2025 10:57 AM
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आरबीआई के पूर्व गवर्नर और अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने डावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के दौरान भारतीय रुपए की मौजूदा स्थिति और भविष्य की संभावनाओं पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपए में और कमजोरी आ सकती है और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)...
बिजनेस डेस्कः आरबीआई के पूर्व गवर्नर और अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने डावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के दौरान भारतीय रुपए की मौजूदा स्थिति और भविष्य की संभावनाओं पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपए में और कमजोरी आ सकती है और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को इस पर नियंत्रण पाने के लिए करेंसी मार्केट में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उनके अनुसार केवल रुपया नहीं, बल्कि अन्य देशों की मुद्राएं भी डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रही हैं।
राजन ने बताया कि रुपए का मूल्य अभी भी अन्य मुद्राओं के मुकाबले ओवरवैल्यूड है और एक डॉलर के मुकाबले रुपए की वैल्यू 85.6 के लेवल तक पहुंच चुकी है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी डॉलर अब भी एक सशक्त मुद्रा है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में अमेरिकी प्रशासन द्वारा डॉलर का इस्तेमाल एक 'हथियार' के रूप में किया गया है, जिससे कई देशों में चिंता बढ़ी है।
उनका यह भी मानना है कि उभरते देशों के लिए इस प्रकार की आर्थिक अस्थिरता एक चिंता का कारण बन सकती है, खासकर जब अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है, जिसका अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है। राजन के मुताबिक, दुनिया भर के सेंट्रल बैंक अमेरिकी डॉलर की ‘हथियार’ के तौर पर इस्तेमाल की प्रवृत्ति को लेकर चिंतित हैं।