Edited By jyoti choudhary,Updated: 18 Sep, 2024 10:52 AM
सितंबर में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने भारतीय शेयर बाजार में बड़ी मात्रा में निवेश किया। इसका मुख्य कारण यह उम्मीद है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती करेगा, जिससे उभरते बाजारों में और अधिक निवेश आएगा।
बिजनेस डेस्कः सितंबर में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने भारतीय शेयर बाजार में बड़ी मात्रा में निवेश किया। इसका मुख्य कारण यह उम्मीद है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती करेगा, जिससे उभरते बाजारों में और अधिक निवेश आएगा।
NSDL के आंकड़ों के अनुसार, 1 से 17 सितंबर तक FPIs ने भारतीय शेयरों में कुल 3,682 मिलियन डॉलर (30,908.1 करोड़ रुपए) का शुद्ध निवेश किया। यह निवेश 2024 के आठ महीनों में से छह महीनों के मासिक निवेश से अधिक है। 13 सितंबर को FPIs ने 949 मिलियन डॉलर का निवेश किया, जो इस साल का दूसरा सबसे बड़ा एक दिन का निवेश है। इससे पहले 30 अगस्त को 1,731 मिलियन डॉलर का सबसे बड़ा एक दिन का निवेश हुआ था।
फेडरल रिजर्व की नीति का प्रभाव
सितंबर की इस तेजी से FPIs का 2024 में अब तक का शुद्ध निवेश 1,450 मिलियन डॉलर हो गया है, जबकि अगस्त के अंत में यह 1,417 मिलियन डॉलर के शुद्ध निकासी की स्थिति में था। यदि निवेश की यही गति जारी रहती है, तो सितंबर का निवेश 2024 के अब तक के सबसे बड़े मासिक निवेश (मार्च में 4,241 मिलियन डॉलर) को पार कर सकता है। हालांकि इसमें फेडरल रिजर्व की नीति का बड़ा असर होगा, जिसकी घोषणा बुधवार (18 सितंबर) को होगी।
सितंबर में FPIs ने द्वितीयक बाजार (secondary market) में भी ज्यादा निवेश किया है, जबकि पहले के महीनों में वे मुख्य रूप से प्राइमरी बाजार (IPO और संस्थागत खरीद) पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे। सितंबर में अब तक द्वितीयक बाजार में उन्होंने 2,867 मिलियन डॉलर और प्राइमरी बाजार में 815 मिलियन डॉलर का निवेश किया है। 2024 के जनवरी से अगस्त तक FPIs ने प्राइमरी बाजार में 6,580.8 मिलियन डॉलर का निवेश किया था, जबकि वे द्वितीयक बाजार में 1,417 मिलियन डॉलर के शुद्ध विक्रेता थे।
FIIs की निरंतर नकद बाजार में खरीदारी
Geojit Financial Services के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने बताया कि 13 सितंबर को समाप्त सप्ताह में FIIs (विदेशी संस्थागत निवेशक) ने हर दिन नकद बाजार में खरीदारी की। भारतीय बाजार की मजबूती और अमेरिका में संभावित ब्याज दर कटौती को इसके प्रमुख कारणों में से एक बताया गया।
घरेलू फंड्स की धीमी गति
इसके विपरीत, सितंबर में घरेलू फंड्स का निवेश धीमा रहा। SEBI के अनुसार, 11 सितंबर तक घरेलू फंड्स ने 8,951 करोड़ रुपए का निवेश किया, जो पिछले महीने की समान अवधि के 17,570 करोड़ रुपए से काफी कम है।