Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 May, 2024 04:45 PM
देश में डिजिटल भुगतान बढ़ने के साथ बैकिंग धोखाधड़ी के मामले तेजी से बढ़े हैं। भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, बैंकों से जुड़े धोखाधड़ी के मामले बीते वित्त वर्ष (2023-24) में बढ़कर 36,075 रहे। हालांकि, इस दौरान धोखाधड़ी वाली राशि 46.7 प्रतिशत
बिजनेस डेस्कः देश में डिजिटल भुगतान बढ़ने के साथ बैकिंग धोखाधड़ी के मामले तेजी से बढ़े हैं। भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, बैंकों से जुड़े धोखाधड़ी के मामले बीते वित्त वर्ष (2023-24) में बढ़कर 36,075 रहे। हालांकि, इस दौरान धोखाधड़ी वाली राशि 46.7 प्रतिशत घटकर 13,930 करोड़ रुपए रही। रिपोर्ट के अनुसार, प्राइवेट सेक्टर बैंकों में धोखाधड़ी मुख्य रूप से कार्ड/ इंटरनेट जैसे डिजिटल भुगतान माध्यमों के जरिये हुई। वहीं सरकारी बैंकों में धोखाधड़ी मुख्य रूप से कर्ज (अग्रिम श्रेणी) के मामले में रही।
धोखाधड़ी की राशि में आई गिरावट
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023-24 के दौरान धोखाधड़ी में शामिल राशि 13,930 करोड़ रुपए रही जो एक साल पहले 26,127 करोड़ रुपए थी। वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान धोखाधड़ी के मामलों की संख्या 36,075 हो गई, जो एक साल पहले 13,564 थी। रिपोर्ट के अनुसार, धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने और भुगतान अनुभव को और बेहतर बनाने के उद्देश्य से नये अधिनियम ‘डिजिटल व्यक्तिगत सूचना संरक्षण कानून, 2023’ के अनुपालन के तहत वास्तविक रूप से कोष अंतरण से पहले भुगतान प्राप्त करने वाले के नाम की वास्तविक समय पर सत्यापन की संभावना टटोली जाएगी।
प्राइवेट सेक्टर के बैंक में धोखाधड़ी ज्यादा
पिछले तीन साल में धोखाधड़ी के मामलों के आकलन से संकेत मिलता है कि जहां प्राइवेट सेक्टर के बैंकों ने सबसे ज्यादा धोखाधड़ी के मामलों की सूचना दी, वहीं धोखाधड़ी में शामिल राशि के मामले में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का योगदान पहले की तरह सबसे ज्यादा रहा। इसमें कहा गया है, ‘‘संख्या के संदर्भ में धोखाधड़ी मुख्य रूप से कार्ड/ इंटरनेट जैसे डिजिटल भुगतान श्रेणी में हुई। वहीं मूल्य के संदर्भ में, धोखाधड़ी मुख्य रूप से कर्ज (अग्रिम श्रेणी) के मामले में रही।’’ छोटी राशि के कार्ड/इंटरनेट धोखाधड़ी के मामले में निजी क्षेत्र के बैंकों में सबसे ज्यादा मामले आए। वहीं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में धोखाधड़ी मुख्य रूप से कर्ज श्रेणी में रही।
फ्रॉड को पकड़ने में वक्त लगा
इसके अलावा, 2022-23 और 2023-24 के दौरान रिपोर्ट की गई धोखाधड़ी की घटनाओं का विश्लेषण करने से पता चलता है कि धोखाधड़ी की घटना की तारीख और उसका पता लगाने के बीच एक महत्वपूर्ण समय-अंतराल दिखता है। यानी फ्रॉड को पकड़ने में काफी वक्त लगता है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘मूल्य के संदर्भ में पिछले वित्त वर्ष में हुई धोखाधड़ी में शामिल राशि 2022-23 में रिपोर्ट की गई धोखाधड़ी का 94 प्रतिशत है।’’ भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की सालाना रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।