Edited By Mahima,Updated: 02 Nov, 2024 03:25 PM
न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय के अध्ययन में भारत के समर्पित फ्रेट कॉरिडोर के आर्थिक समानता पर सकारात्मक प्रभाव का पता चला है। यह शोध बताता है कि जिन राज्यों का प्रति व्यक्ति जीडीपी कम है, उन्हें महत्वपूर्ण लाभ मिल रहा है, जिससे आर्थिक विषमताएं कम हो...
नेशनल डेस्क: ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में भारत के समर्पित फ्रेट कॉरिडोर के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव का मूल्यांकन किया गया है। इस अध्ययन में यह पाया गया है कि भारतीय रेलवे के फ्रेट कॉरिडोर ने आर्थिक समानता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। खासकर उन राज्यों में, जहां प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (GDP) कम है, उन्हें इस परियोजना से काफी लाभ मिल रहा है।
अध्ययन की मुख्य बातें
अध्ययन में वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (WDFC) पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जो वित्तीय वर्ष 2019-20 के आंकड़ों के आधार पर किया गया था। इस दौरान यह स्पष्ट हुआ कि फ्रेट कॉरिडोर ने आर्थिक अंतर को कम करने में मदद की है, जिससे देशभर में आर्थिक विकास में समानता आ रही है। विशेष रूप से उन क्षेत्रों में, जो फ्रेट कॉरिडोर के करीब स्थित हैं, उन्हें यात्रा लागत में कमी के कारण अधिक लाभ हो रहा है। अध्ययन में बताया गया है कि समर्पित माल ढुलाई गलियारे की शुरुआत ने माल ढुलाई की लागत में व्यापक कमी लाई है। इससे वस्तुओं की कीमतों में 0.5 प्रतिशत तक की गिरावट देखने को मिली है, जो उपभोक्ताओं के लिए राहत भरी है। इसके अलावा, अध्ययन में यह भी पाया गया कि 2018-19 से 2022-23 के बीच, समर्पित फ्रेट कॉरिडोर ने भारतीय रेलवे द्वारा प्राप्त राजस्व में 2.94 प्रतिशत का योगदान दिया है।
आर्थिक लाभ और विकास
अध्ययन के अनुसार, समर्पित फ्रेट कॉरिडोर ने देश के विभिन्न हिस्सों में आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित किया है। जहां एक ओर पश्चिमी क्षेत्रों ने सबसे अधिक लाभ प्राप्त किया है, वहीं दूर के क्षेत्रों ने भी परिवहन लागत में कमी से आर्थिक लाभ उठाया है। इस तरह के विकास से यह साबित होता है कि समर्पित फ्रेट कॉरिडोर भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नया आयाम दे रहा है। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (DFCCIL) ने भी अध्ययन के निष्कर्षों का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि इस अध्ययन ने यह स्पष्ट किया है कि फ्रेट कॉरिडोर के निर्माण ने न केवल माल ढुलाई की लागत को कम किया है, बल्कि देश की जीडीपी विकास को भी बढ़ावा दिया है।
परियोजनाओं का विस्तार
भारत में समर्पित माल ढुलाई गलियारे की परियोजनाएं कुल 2,843 किलोमीटर लंबी हैं, जिसमें पूर्वी समर्पित माल ढुलाई गलियारा (EDFC) और पश्चिमी समर्पित माल ढुलाई गलियारा (WDFC) शामिल हैं। ये दोनों गलियारे सात राज्यों के 56 जिलों से होकर गुजरते हैं और वर्तमान में 96.4 प्रतिशत पूरा हो चुका है। 1,337 किलोमीटर लंबा EDFC लुधियाना से बिहार के सोननगर तक फैला है, जबकि 1,506 किलोमीटर लंबा WDFC उत्तर प्रदेश के दादरी को मुंबई से जोड़ता है। EDFC परियोजना अब 100 प्रतिशत पूरी हो चुकी है और विभिन्न कोयला खदानों और ताप विद्युत संयंत्रों के लिए चालू है।
DFCCIL के अनुसार, समर्पित फ्रेट कॉरिडोर ने न केवल माल ढुलाई की लागत को कम किया है, बल्कि यह समान आर्थिक प्रगति को भी प्रोत्साहित कर रहा है। वर्तमान में, औसतन 325 ट्रेनें प्रतिदिन चल रही हैं, जो पिछले साल की तुलना में 60 प्रतिशत अधिक है। इससे मालगाड़ियों की गति, भार और सुरक्षा में भी सुधार हुआ है। इस अध्ययन ने यह साबित किया है कि समर्पित फ्रेट कॉरिडोर न केवल भारत की आर्थिक ढांचे को मजबूत कर रहा है, बल्कि यह देश के सभी हिस्सों में समान विकास की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।