Edited By jyoti choudhary,Updated: 07 Aug, 2024 10:43 AM
कच्चे तेल (Crude Oil) की दाम में भारी गिरावट आने की आशंका है ये हम नहीं कर रहे बल्कि दुनिया के प्रमुख ब्रोकरेज हाउस गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) ने कहा है। गोल्डमैन सैक्स ने तेल की कीमतों को लेकर नई रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार, अगले वर्ष...
बिजनेस डेस्कः कच्चे तेल (Crude Oil) की दाम में भारी गिरावट आने की आशंका है ये हम नहीं कर रहे बल्कि दुनिया के प्रमुख ब्रोकरेज हाउस गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) ने कहा है। गोल्डमैन सैक्स ने तेल की कीमतों को लेकर नई रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार, अगले वर्ष यानी 2025 में ब्रेंट क्रूड की कीमतें 75 डॉलर प्रति बैरल से 90 डॉलर प्रति बैरल के बीच रह सकती हैं।
इस वजह से गिर सकती है कीमत
रिपोर्ट में चिंता इस बात की जताई गई है कि अगर आर्थिक मंदी आई तो नायमैक्स (NYMAX) पर क्रूड के दाम गिरकर 30 डॉलर प्रति बैरल तक आ सकते है। वहीं, ब्रेंट क्रूड (Brent Crude) के दाम 50 डॉलर प्रति बैरल तक आ सकते है। ये आर्थिक मंदी आने पर होगा। फिलहाल 7 अगस्त 2024 को नायमैक्स पर क्रूड का भाव 73 डॉलर प्रति बैरल है। वहीं, ब्रेंट क्रूड का दाम 76 डॉलर प्रति बैरल है।
भारत के लिए अच्छी है ये खबर?
सस्ता कच्चा तेल कैसे भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए वरदान बन सकता है। भारत सरकार कम कीमत पर कच्चा तेल खरीद सकेगी। ऐसे में भारत का खर्च कम होगा। लिहाजा चालू वित्तीय घाटा कम करने में मदद मिलेगी।
बीते समय सस्ता क्रूड खरीदकर उसके अनुपात में पेट्रोल-डीजल की कीमत (Petrol-Diesel Price) में खास बदलाव नहीं किया। इससे सरकार को दो बड़े फायदे हुए।
पहला देश के चालू खाता घाटा (CAD) में कमी आई और दूसरा सरकार के राजस्व (Revenue) में इजाफा हुआ। अर्थव्यवस्था के लिहाज से हाल में एक और अच्छी घटना हुई है।
दूसरे शब्दों में कहें तो डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा में 4 रुपए की मजबूती आई है। इससे सरकार को विदेशों से सामान खरीदने में कम भुगतान करना पड़ा। रुपए के मजबूत होने से कच्चा तेल, इलेक्ट्रॉनिक, जेम्स एंड ज्वेलरी, फर्टिलाइजर्स, केमिकल्स सेक्टर को सीधा फायदा होता है। इससे आयात की लागत घट जाती है। हालांकि, इससे कुछ सेक्टर्स को नुकसान भी होता है।
इन कंपनियों को मिलेगा सीधा फायदा
क्रूड की कीमतों में गिरावट से HPCL, BPCL और IOC जैसी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को फायदा होगा। क्रूड की कीमतों में गिरावट से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को अंडररिकवरी कम करने में मदद मिलेगी एमआरपीएल, एस्सार ऑयल, चेन्नई पेट्रो, रिलायंस इंडस्ट्रीज और मनाली पेट्रोल जैसी ऑयल एंड गैस कंपनियों को भी फायदा होगा क्योंकि क्रूड इन कंपनियों के लिए कच्चे माल का काम करता है।
ओएनजीसी, गेल और ऑयल इंडिया जैसी अपस्ट्रीम कंपनियों को भी फायदा होगा क्योंकि इन कंपनियों का सब्सिडी बोझ कम होगा।