सरकार ने जमाखोरी रोकने, कीमतों में स्थिरता को गेहूं पर स्टॉक सीमा लगाई

Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 Jun, 2024 03:09 PM

government imposed stock limit on wheat to prevent hoarding

सरकार ने खुदरा विक्रेताओं, थोक विक्रेताओं, प्रोसेसर और बड़ी श्रृंखलाओं के खुदरा विक्रेताओं के लिए गेहूं भंडारण की सीमा लगा दी है। कीमतों में स्थिरता और जमाखोरी रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने सोमवार को कहा कि...

बिजनेस डेस्कः केंद्र सरकार ने दालों के बाद अब गेहूं पर भंडारण सीमा (स्टॉक लिमिट) लगा दी है। यह सीमा तत्काल प्रभाव से लागू होगी और अगले साल 31 मार्च तक प्रभावी रहेगी। सरकार ने यह कदम गेहूं की जमाखोरी रोकने के साथ ही इसके दाम नियंत्रित करने के लिए उठाया है। थोक कारोबारी 3,000 टन गेहूं का भंडारण कर सकेगा। प्रत्येक खुदरा कारोबारी अपने रिटेल आउटलेट पर 10 टन गेहूं रख सकता है। बिग चेन रिटेलर को प्रत्येक आउटलेट पर 10 टन और उनके सभी डिपो पर 3,000 टन गेहूं का भंडारण करने की अनुमति दी गई है। आटा मिल वाले वर्ष 2024-25 के बचे महीनों में अपनी स्थापित मासिक क्षमता के 70 फीसदी तक गेहूं का भंडारण कर सकते हैं।

47 फीसदी अनाज के भंडारण की ही सुविधा

महंगाई पर प्रभावी नियंत्रण के लिए सरकार का सबसे ज्यादा जोर उत्पादन और भंडारण क्षमता बढ़ाने पर है। स्टॉक जितना बड़ा होगा, जमाखोरी उतनी ही कम होगी। अभी देश में उत्पादित अनाज के सिर्फ 47 फीसदी के भंडारण की ही सुविधा है। इसलिए पैक्स (प्राथमिक सहकारी समितियां) स्तर पर गोदाम बनाए जा रहे हैं। तैयारी 3 लाख गोदाम की है, जो विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना होगी। पायलट प्रोजेक्ट के तहत 511 पैक्सों का चयन किया गया है।

सब्जियों का उत्पादन घटने का अनुमान

चालू वर्ष के दूसरे अनुमान में बागवानी फसलों का उत्पादन 3522.30 लाख टन है, जो पिछली बार से लगभग 32.51 लाख टन कम है। सर्वाधिक कमी प्याज, आलू, बैंगन समेत अन्य सब्जियों की होनी है। आलू-प्याज के दाम तो अभी से सिरदर्द बनने लगे हैं। ऐसे में तात्कालिक उपायों पर फोकस के साथ स्थायी समाधान के रास्ते भी तलाशे जाने लगे हैं। प्याज 60 लाख टन और आलू का उत्पादन 34 लाख टन कम हो सकता है।

दाल में अब तक किए गए प्रयासों से उत्पादन में 14.02 लाख टन की वृद्धि हुई है। फिर भी मांग बढऩे के चलते आयात पर निर्भरता कम नहीं हुई है। सरकार ने अगले तीन वर्षों के दौरान दाल उत्पादन में पूरी तरह निर्भरता का लक्ष्य तय किया है। दलहन की फसल के लिए नए-नए क्षेत्र तलाशे जा रहे हैं। दाल की जमाखोरी रोकने के लिए तत्काल स्टॉक लिमिट लगा दी गई है लेकिन स्थायी समाधान के लिए उत्पादन बढ़ाने पर जोर है।

खेती की संभावना तलाशी जा रही

बाजार के अभाव में मौसमी फसलें देश के एक हिस्से में बर्बाद हो जाती हैं तो दूसरे हिस्से में वही फसल गायब रहती है। इसलिए भंडारण पर जोर है। प्याज के भंडारण सीमा को एक लाख टन से बढ़ाकर 5 लाख टन किया गया है। खेती के दायरे का विस्तार किया जा रहा है। प्याज की खेती में महाराष्ट्र का वर्चस्व टूटने लगा है। गुजरात और राजस्थान में इसकी खेती ने जोर पकड़ा है। दालों को भी इसी रास्ते पर लाने की तैयारी है। नए क्षेत्रों में दलहन की खेती की संभावना तलाशी जा रही है।

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