चीनी कंपनियों को बड़ा झटका देने की तैयारी में भारत सरकार, CCTV कैमरों पर लग सकता है बैन

Edited By jyoti choudhary,Updated: 28 Sep, 2024 11:51 AM

government is preparing to give a big blow to chinese companies

देशभर में बड़ी संख्या में लगे चीनी सीसीटीवी कैमरों को लेकर भारत सरकार ने नई नीति लागू करने की तैयारी की है। सरकार ने पहले भी चीनी विक्रेताओं को बाहर करने की योजना बनाई थी लेकिन अब इसे तेजी से लागू करने पर विचार किया जा रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार,...

बिजनेस डेस्कः लेबनान में हाल ही में पेजर और वॉकी-टॉकी में हुए विस्फोटों के बाद भारत भी सतर्क हो गया है। देशभर में बड़ी संख्या में लगे चीनी सीसीटीवी कैमरों को लेकर सरकार ने नई नीति लागू करने की तैयारी की है। सरकार ने पहले भी चीनी विक्रेताओं को बाहर करने की योजना बनाई थी लेकिन अब इसे तेजी से लागू करने पर विचार किया जा रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार इस निर्णय को जल्द से जल्द लागू करने पर जोर दे रही है, जिससे चीनी कंपनियों को बड़ा झटका लग सकता है।

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सरकार की यह नीति 8 अक्टूबर से लागू होने की संभावना है, जिसके बाद सभी चीनी सीसीटीवी कैमरा विक्रेताओं को भारत से बाहर किया जाएगा। इसके परिणामस्वरूप भारतीय कंपनियों को इस सेक्टर में बड़ा अवसर मिल सकता है। सरकार का यह कदम न सिर्फ सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखकर उठाया गया है, बल्कि यह डेटा लीक की संभावनाओं से बचने के लिए भी है।

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सुरक्षा पर सरकार का फोकस

लेबनान में हुए विस्फोटों के बाद भारत ने भी अपने सीसीटीवी सुरक्षा उपायों को सख्त करने की योजना बनाई है। सरकार ने पहले भी मार्च और अप्रैल में एक गैजेट नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें सीसीटीवी कैमरों के उत्पादन और बिक्री से संबंधित दिशानिर्देश दिए गए थे। लेबनान की घटना के बाद सरकार ने इस दिशा में तेजी दिखाई है। अब भारत में सिर्फ उन्हीं कंपनियों को सीसीटीवी बेचने की अनुमति मिलेगी, जिन पर सरकार भरोसा कर सकती है।

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डेटा लीक का खतरा

सूत्रों के मुताबिक, सरकार की चिंता विस्फोट से कम और डेटा लीक होने से ज्यादा जुड़ी हुई है। सीसीटीवी कैमरे कई संवेदनशील स्थानों पर लगाए जाते हैं, जहां से महत्वपूर्ण जानकारी लीक हो सकती है। सरकार अब ‘मेक-इन-इंडिया’ प्रोडक्ट्स को प्राथमिकता दे रही है और नए दिशानिर्देशों में यह सुनिश्चित किया गया है कि सीसीटीवी कैमरे भारत में ही बनाए जाएं।

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बाजार पर चीनी कंपनियों का कब्जा

वर्तमान में भारतीय बाजार में 60% हिस्सेदारी सीपी प्लस, हिकविजन और दहुआ जैसी कंपनियों की है। इनमें सीपी प्लस एक भारतीय कंपनी है, जबकि हिकविजन और दहुआ चीनी कंपनियां हैं। काउंटरपॉइंट रिसर्च के अनुसार, इन कंपनियों को अपने उपकरणों में स्थानीय सामग्री और आरएंडडी पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होगी।

अमेरिका में भी प्रतिबंध

अमेरिका ने नवंबर 2022 में हिकविजन और दहुआ पर प्रतिबंध लगाया था, क्योंकि संघीय संचार आयोग (FCC) ने उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना था। उनका मानना है कि चीन इन उपकरणों का इस्तेमाल जासूसी के लिए कर सकता है। अब भारत भी इस दिशा में कड़े कदम उठाने की तैयारी कर रहा है।
 

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