Mutual Fund और शेयर बाजार में निवेश बढ़ा, लेकिन जोखिम भी बरकरार, वित्त मंत्रालय ने दी चेतावनी

Edited By jyoti choudhary,Updated: 21 Mar, 2025 12:46 PM

government s eye on increasing interest in stock market warning for investors

देश में निवेश के पैटर्न में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। पहले जहां लोग अपनी बचत को बैंक सेविंग अकाउंट या फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में रखना पसंद करते थे, वहीं अब शेयर बाजार और उससे जुड़े निवेश माध्यमों की ओर झुकाव बढ़ता जा रहा है। बैंकों से पैसा निकालकर...

बिजनेस डेस्कः देश में निवेश के पैटर्न में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। पहले जहां लोग अपनी बचत को बैंक सेविंग अकाउंट या फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में रखना पसंद करते थे, वहीं अब शेयर बाजार और उससे जुड़े निवेश माध्यमों की ओर झुकाव बढ़ता जा रहा है। बैंकों से पैसा निकालकर इक्विटी बाजार में लगाने की इस प्रवृत्ति ने सरकार का ध्यान खींचा है। वित्त मंत्रालय ने इसे लेकर चिंता जताई है और आगाह किया है कि यह न केवल आम निवेशकों के लिए जोखिम भरा है, बल्कि बैंकों की वित्तीय स्थिरता के लिए भी चुनौती बन सकता है।

डीमैट खातों की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि

शेयर बाजार में बढ़ती रुचि का संकेत डीमैट खातों की संख्या से भी मिलता है। फरवरी 2025 में देश में डीमैट खातों की संख्या 19 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई, जिसमें अकेले फरवरी में 23 लाख और जनवरी में 28 लाख नए डीमैट अकाउंट खोले गए। NSDL और CDSL के साथ रजिस्टर्ड डीमैट खातों की कुल संख्या अब 19.04 करोड़ तक पहुंच चुकी है। यह दर्शाता है कि बड़ी संख्या में लोग बैंकिंग सेवाओं से पैसा निकालकर शेयर बाजार और उससे जुड़े उत्पादों में निवेश कर रहे हैं।

वित्त मंत्रालय ने जताई चिंता

वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग ने संसद की स्थायी समिति को बताया कि निवेशक मोटे मुनाफे की उम्मीद में शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड और अन्य बाजार-लिंक्ड निवेश साधनों में पैसा लगा रहे हैं। हालांकि, शेयर बाजार हमेशा अस्थिर होता है और इसमें अचानक गिरावट आने पर छोटे निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। मंत्रालय ने आगाह किया कि आम निवेशक पूरी जानकारी के बिना ऐसे जोखिम भरे निवेश कर रहे हैं, जिससे उनकी पूरी बचत खतरे में पड़ सकती है।

बैंकिंग सेक्टर के लिए खतरा

बैंकों में जमा राशि घटने से उनकी वित्तीय स्थिति पर असर पड़ सकता है। यदि लोग अपने पैसे बैंक से निकालकर बाजार में लगाने लगेंगे, तो बैंकों के पास लोन देने के लिए पर्याप्त फंड नहीं रहेगा। इससे कर्ज महंगा हो सकता है, जिसका सीधा असर आम लोगों पर पड़ेगा।

क्या हो सकता है समाधान?

संसद की स्थायी समिति ने सरकार को सुझाव दिया है कि लोगों को निवेश से जुड़ी सही जानकारी देकर जागरूक किया जाए। साथ ही, बैंकों को भी डिजिटल सेवाओं में सुधार करने, आकर्षक योजनाएं लाने और ग्राहकों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़े रखने के लिए प्रयास करने की सलाह दी गई है। सरकार से भी यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि लोग बिना सोचे-समझे अपने पैसे को अस्थिर बाजारों में न लगाएं।
    
 

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